पतंजलि अनुसंधान संस्थान में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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12 अक्टूबर। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभागार में 'कालगणना के आधार पर इतिहास का पुनर्विवेचन' विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि इतिहास पुनर्लेखन समिति, उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य, डॉ. चन्द्रशेखर शास्त्री जी रहे।
इस अवसर पर डॉ. शास्त्री ने 'मानव सभ्यता की प्राचीनता, भाषा और ताम्रपत्रों के प्रमाण' विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पिछली कुछ शताब्दियों में लम्बे कालखण्ड के इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता है कि इतिहास की पुनर्विवेचना कर इसमें यथोचित संशोधन किया जाए।
कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि किसी भी देश का इतिहास उसकी सभ्यता, संस्कृति, उत्कृष्टता व भव्यता को प्रदर्शित करने का माध्यम है। प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाओं को इतिहास में संजोकर भविष्य में उसकी मिसाल दी जाती है। किन्तु गौरों के शासनकाल में अंग्रेजी हुकमरानों तथा मुगलकाल में मुगल शासकों का निरर्थक गुणगान किया गया है। जबकि देश के क्रांतिकारियों, बलिदानियों तथा वीर-वीरांगनाओं के त्याग, बलिदान व समर्पण को इतिहास में कहीं स्थान ही नहीं दिया गया। यहाँ तक की प्राचीन इतिहास से सम्बन्धित स्थलों व स्मारकों व उनके अभिलेखीकरण को बड़ी चतुराई से बदलने का प्रयास किया गया।