पतंजलि विश्वविद्यालय में हुआ गुरु कृतज्ञता पर्व का आयोजन
On
हरिद्वार, 17 जनवरी। सिख धर्म के 10वें एवं अन्तिम गुरु संत सिपाही गुरु गोविन्द सिंह जी की 357वीं जयंती को पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘गुरु कृतज्ञता पर्व’के रूप में मनाया गया। पर्व का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ तथा गणमान्य विद्वानों एवं अतिथियों द्वारा पूज्य गुरु गोविन्द सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। सर्वप्रथम उनके साहसी जीवन, शिक्षण व संस्कृति संरक्षण सहित उनके पावन योगदानों पर आधारित एक डोक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गई जिससे उपस्थित प्रतिभगियों का ज्ञानवर्धन हुआ।
इस अवसर पर वि.वि. के यशस्वी कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी का भी मार्गदर्शन व आशीर्वचन प्राप्त हुआ। उन्होंने जीवन में श्रेष्ठ गुरु की महत्ता पर उद्बोधन देते हुए पूज्य स्वामी जी के अखण्ड तप व पुरुषार्थ की चर्चा की एवं गुरु गोविन्द सिंह जी के पावन शिक्षाओं को जीवन में धारण करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने बताया कि सृजन प्रतिकूलताओं में भी हो सकता है और इसे जीवंत करके गुरु गोविन्द सिंह जी ने दिखाया और समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गये जिन्हें युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा। माननीय कुलपति जी ने नवीन सत्र से गुरु गोविन्द सिंह जी के जीवन पर शोध कार्य प्रारम्भ करने एवं संबंधित शोधार्थी को छात्रवृत्ति प्रदान करने की घोषणा भी की। अपना सम्बोधन देते हुए वि.वि. के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल जी ने कहा कि जहां ब्रह्म एवं क्षत्र का मधुर समन्वय होता है वहीं शास्त्र सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने साहस के प्रतीक गुरु गोविन्द सिंह जी को वीरता की पराकाष्ठा एवं वैदुष्य का प्रतीक बताया।
वि.वि. में स्थित गुरु गोविन्द सिंह चेयर के अध्यक्ष पूर्व कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिक प्रो. जे.एस. सन्धु ने गुरु का संदेश सबसे साझा किया। उन्होंने साहित्य रचना, संस्कृति रक्षा, जीवन दर्शन, युद्ध कौशल, शहादत सहित उनके जीवन के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह ने साहस के प्रतिमान गुरु के जीवन का यशोगान करते हुए सिख धर्म की विशेषताओं पर विमर्श किया तथा सिख पंथ को भारत की सनातन वेदान्त परम्परा पर आधारित एक दर्शन बताया।
इस अवसर पर रेशमी शहर भागलपुर, बिहार के कवि श्री प्रफुल्ल चंद्र कुंवर ‘बागी’द्वारा विरचित पूज्य स्वामी रामदेव जी एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी को समर्पित दो काव्य कृतियों- ‘अथ योगानुशासनम्’ एवं ‘आयुष का ध्रुवतारा: पतंजलि हमारा’का लोकार्पण गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा गुरुवाणी एवं भजन की प्रस्तुति भी दी गई। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. आरती पाल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर साध्वी डॉ. देवप्रिया, प्रो. वी.के. कटियार, डॉ. मनोज कुमार पटैरिया, श्री मंयक अग्रवाल, स्वामी आर्षदेव, डॉ. निर्विकार, डॉ. रोमेश शर्मा, डॉ. बिपिन दुबे, डॉ. विनय शर्मा, श्री गिरिजेश मिश्र सहित विभिन्न विभागों एवं संकायों के अध्यक्ष, आचार्यगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
लेखक
Related Posts
Latest News
01 Jul 2024 15:58:34
ll OM ll Fanaticism - In the name of religion, new records of blind faith and superstition are being seen...