स्वास्थ्य स्वयं व समाज के लिए योग

स्वास्थ्य स्वयं व समाज के लिए योग

डॉ. रीना अग्रवाल

(हिंदी वैज्ञानिक-बी)

पतंजलि हर्बल अनुसंधान विभाग, हरिद्वार, उत्तराखंड

    21 जून, 2024 को मनाया गया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024, पंचांग पर केवल एक घटना अपितु एक वैश्विक परिवर्तन है। योग दिवस 2024, का विषयस्वयं समाज के लिए योगहै। इस वर्ष के योग महोत्सव का लक्ष्य योग को एक व्यापक विकास के रूप में अग्रसर करने का प्रयास रहा, जिसमें विशेषत: जन-कल्याण भावना और वैश्विक स्वास्थ्य-शांति को बढ़ाने पर बल दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य साक्ष्य-आधारित शोध के माध्यम से योग को समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य संचालित करने और आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, व्यक्तिगत स्तर पर सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया था। इसका स्वरूप जीवन के सभी पहलुओं पर नियंत्रण प्रदान कर समानता के अवसर प्रदान कर आत्म-साक्षात्कार के संचार शक्ति को प्रबल करना था। योग का लक्ष्य प्रत्येक नागरिकों में आर्थिक एवं सामाजिक, परिवार एवं समाज के मध्य आत्मनिर्भरता को विकसित करना है, जिससे लक्षित परिणाम प्राप्त करने की अपार शक्ति को प्राप्त किया जा सकता है, इसमें शिक्षा, जागरूकता और प्रशिक्षण के माध्यम से अपनी स्थिति को ऊपर उठाना आदि सम्मिलित हैं। अत: योग के माध्यम से एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जहाँ किसी भी आधार पर भेदभाव या सीमाओं के बिना जीवन-जीने की शक्ति एवं स्वतंत्रता पाई जा सकें।
योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि
योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि नेयोग सूत्रकी रचना की थी। इसीलिए उन्हें योग का जनक कहा जाता है। योग सूत्र की रचना से पहले माना जाता था कि संसार के पहले योग गुरु स्वयं महादेव जी अर्थात भगवान शिव थे, उन्हेंआदिगुरुभी कहा जाता है। योग, जीवन के सभी आयामों के मध्य संतुलन स्थापित करने के अलावा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्राणायाम- परिचय, महत्त्व, भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, बाह्य प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, उद्गीथ प्राणायाम हैं। सूर्य नमस्कार के बारह आसनों, जिनमें अश्व संचालनासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, प्रणामासन, हस्तोत्तानासन, हस्तपादासन, अधोमुख श्वानासन, अश्व संचालनासन, हस्तपादासन, हस्तोत्तानासन और ताड़ासन हैं। इन उपर्युक्त योग-आसनों को अपनी दिनचर्या में अपनाने यानि प्रतिदिन करने से हम चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ बने रह सकते हैं। इसकी स्थिति और सिद्धि के निमित्त कतिपय उपाय आवश्यक होते हैं जिन्हेंअंगकहते हैं, जो संख्या में आठ माने गए हैं।
योग से रहें निरोग, कई व्याधियों पर शोध कार्य
वर्तमान में, योग पर कई व्याधियों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें सिर दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द और घुटने के ऑस्टियो अर्थराइटिस आदि हैं। कमर दर्द अन्य स्थितियों के लिए शोध कार्य किए गए हैं जिनके परिणाम सकारात्मक हैं तथापि इस क्षेत्र में शोध कार्यों में बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में हुए शोध कार्यों से प्राप्त निष्कर्षों से पता चलता है कि योग तनाव से राहत प्रदान कर अच्छी स्वास्थ्य आदतों का समर्थन करके मानसिक-भावनात्मक स्वास्थ्य, निद्रा एवं संतुलन में सहायक है। गर्दन के दर्द, माइग्रेन, तनाव से सिरदर्द और घुटने के पुराने ऑस्टियोअर्थराइटिस से जुड़े दर्द से लाभ प्रदान कर सकता है।
इन प्रक्रियाओं को जान लेने के बाद हम योग के क्षेत्र से संबंधित विभिन्न प्रकार की सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक समस्याओं को सुलझाने और उनका हल ढूँढऩे का प्रयास कर सकते हैं। कई शोध निष्कर्षों से प्राप्त सुझावों के अनुसार योग कैंसर रोगियों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। योग की ऐसी वैश्विक मान्यता भारत के बढ़ते सांस्कृतिक प्रभाव का प्रमाण है।
एक धरा, एक परिवार एवं एक भविष्य के लिए योग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने महिलाओं को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) अथवा पॉलीसिस्टिक ओवरीडिजिज (पीसीओडी) और तनाव पर शोध का सक्रिय रूप से समर्थन किया है ताकि परिस्थितियों की परवाह किए बिना उनकी आयु और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके। योग नागरिकों को सशक्त बनाने, उनकी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक व्यापक उपकरण के रूप में कार्य करता है। समाज में सशक्त नागरिक विविधता और समावेश को बढ़ावा देने, परिवर्तन के लिए नेता, शिक्षक और अधिवक्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
पिछले वर्ष के इस उत्सव का विषय वसुधैवकुटुंबकम् के लिए योगरहा था जिसका अर्थएक धरा, एक परिवार एवं एक भविष्य के लिए योगहै। यह विषय वैश्विक स्वास्थ्य और जन-कल्याण को बढ़ावा देने के साथ-साथ एकता और समुदाय की भावना को बढ़ाने के लिए योग के महत्त्व पर बल देता है।
21 जून, योग दिवस के वैश्विक अनुष्ठान का आयोजन
अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पाँच अंग यथा; यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहारबहिरंगऔर शेष तीन अंग यथा; ध्यान, धारणा, समाधिअंतरंगनाम से प्रसिद्ध हैं। अब यह प्रश्न आता है कि 21 जून को ही भला क्यों योग दिवस मनाया जाता है? इसके पीछे तथ्य है कि यह उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिवस होता है जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है। भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है। सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है। इसलिए, 21 जून का चयन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में किया गया।
संक्षेप में कह सकते हैं कि आज योग दिवस योग के अत्यधिक लाभ के विषय में जागरूक करने वाला एक प्रमुख वैश्विक अनुष्ठान बन गया है। इसको मनाने से दुनिया भर में लोग एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, आंतरिक सद्भाव विकसित करने, अपनी और स्थानीय दुनिया के साथ जुड़ाव की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
योग के सार्वभौमिक अभ्यास से आनंद की प्राप्ति
योग दिवस सरीखे आयोजन लोगों को उनकी आयु, पृष्ठभूमि या स्वास्थ्य की चिंता किए बिना योग की परिवर्तनकारी शक्ति को अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की समावेशित प्रकृति सांस्कृतिक-धार्मिक सीमाओं को पार कर समग्र कल्याण भावना के साथ विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करने का कार्य किया, यह दिवस एक अनुस्मारक का पर्याय है। सबके लिए योगाभ्यास सुलभ है जिसे व्यक्तिगत आवश्यकताओं, प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाया गया। इसके सार्वभौमिक अभ्यास से सभी आयु एवं क्षमताओं के लोगों नेतन-मन से जुडक़र समग्र स्वास्थ्य को सर्वोत्तम बनाने वाले आनंद का अनुभव प्राप्त किया।
यदि अब हम योग की उत्पत्ति की बात करें तो इसकी उत्पत्ति हजारों वर्षों पहले हमारे देश भारत में ही हुई थी, जो आज भी भारतीय संस्कृति का अद्भुत एवं अटूट हिस्सा है। योग का शाब्दिक अर्थजोडऩाहै। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ हीयोगया भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। योग दिवस इस परंपरा का सम्मान करने और संसार में साझा करने का एक उपयुक्त तरीका है। इस रूप में योग दिवस ने प्राचीन परंपरा, शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कल्याण पर परिवर्तनकारी प्रभाव का समारोह मनाया। इस वैश्विक परिवर्तन का लक्ष्य योग के संपूर्ण लाभों के प्रति जागरूकता, संतुलित जीवन और पृष्ठभूमि के लोगों को योगाभ्यास अपनाने के लिए अभिप्रेरित एवं प्रोत्साहित करना था।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा, 21 जून को योग दिवस घोषित
सितंबर 2014 में भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संयुक्त राष्ट्र के संबोधन में 21 जून को वार्षिक योग दिवस मनाने का सुझाव दिया क्योंकि यह उत्तरी गोलाद्र्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिवस है, विश्व के कई भागों में इसका विशेष महत्त्व है। यह तिथि अंधकार से प्रकाश की ओर गमन का प्रतिनिधित्व करती है जो व्यक्तियों एवं समुदायों में स्पष्टता, ज्ञान और जीवन-शक्ति लाने के लिए योग की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है। योग, विश्व को भारत द्वारा दिया गया उपहार है, दिसंबर 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के एक प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया, जो 21 जून विश्व योग दिवस घोषित हो जाने के पश्चात संयुक्त राष्ट्र का मुख्य अंग बन गया, उद्घाटन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में योग के अभ्यास और इसकी लाभ वृद्धि के लिए विभिन्न देशों में योग कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के साथ संपूर्ण जगत में लोगों की भागीदारी देखी गई। तब से प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इसकी सार्वभौमिक आग्रह सहित प्रार्थना को स्वीकार करते हुए 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 69/131 द्वारा 21 जून की घोषणा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं गणमान्य बंधुओं सहित करीब 36,000 से भी अधिक जन समुदाय ने 21 जून 2015 को नई दिल्ली में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए 35 मिनट तक 21 विविध योग मुद्राओं का प्रदर्शन किया। विश्व भर मेंयोग दिवसमनाया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय संस्कृति को विस्तार देने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग कर रहे हैं जो कार्य स्वामी विवेकनंद ने शिकागो में अपने भाषण से किया था वही प्रधानमंत्री मोदी जी अपने प्रयासों से कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में सांस्कृतिक कायाकल्प केवल धार्मिकता तक ही सीमित नहीं है अपितु व्यापक घोषणा भी सम्मिलित है जो सनातन के सत्य को प्रतिध्वनित करती है।
योग दिवस मानवता के लिए सद्भाव एवं शांति का प्रतीक
योग दिवस का उद्देश्य विश्व जगत में योगाभ्यास की विविध अनुभूतियों के प्रति जागरूकता लाना था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना का प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया, पंजीकृत 175 सदस्य देशों द्वारा समर्थन प्राप्त था। कुल मिलकर यह मानवता के लिए सद्भाव एवं शांति का प्रतीक है जो योग का सत्व है। इसके अलावा, सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अपने कार्यक्रमों-नीतियों में योग को एकीकृत करने के लिए उत्साहित करता है। योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को पहचानकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा, तनाव प्रबंधन में सुधार और समग्र कल्याण में वृद्धि की जा सकती है। योग दिवस शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य अनुभूतियों के अलावा सतत विकास में योग की भूमिका पर बल देता है। योग अभ्यास व्यक्ति को स्वयं, दूसरों के और पर्यावरण के प्रति अधिक विचारशील दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह सभी जीवित प्राणियों की परस्पर संबद्धता के संरक्षण के प्रति उत्तर दायित्वों की भावना को बढ़ाता है।
आज योग दिवस एक वार्षिक वैश्विक पर्व का पर्याय है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक जन-कल्याण के अभ्यास को बढ़ाता है। योग साधना के विभिन्न रूपों से अवगत कराता है जो तन, मन और आत्मा का अभ्यास है जिसका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह तनाव को कम कर लचीलेपन में सुधार करने और शक्ति की वृद्धि में सहायक है। अत: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्व में योगाभ्यास को बढ़ावा देने का सर्वोत्तम माध्यम है। आज संपूर्ण विश्व में योग के प्रति अति उत्साही, आयुर्वेदिक चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन कार्य जारी है। बड़े पैमाने पर योगसत्र, कार्यशालाएँ, प्रदर्शन और सेमिनार, स्टेडियम, उद्यान और सामुदायिक केंद्रों में आयोजित की जा रही हैं जो योग के साझा उत्सव में सबको एकत्रित करती हैं।
निष्कर्ष रूप में, कहा जा सकता है कि योग का मूल स्रोत वेद है। वेद की अन्य शाखाओं में विस्तृत रूप से फैला हुआ योग आज भारतीय संस्कृति और जीवन-शैली की सुगंध को संपूर्ण विश्व में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर स्थापित कर चुका है। विश्व में जहाँ भी योग पहुँचा, वहाँ योग दर्शन भी पहुँच गया है और योग दर्शन का प्रत्यक्ष संबंध वैदिक संहिताओं से है। भारतीय संस्कृति का पुनरुद्धार देश की समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करने का एक बहुआयामी प्रयास है।
नि:संदेह, भारतीय संस्कृति प्रेम, उदारता, सर्वांगीणता, सहिष्णुता और विशालता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा अग्रणी है। आज सांस्कृतिक पुनर्जागरण ने एक ऐसा मंच तैयार किया है जिसमें पुन: देशवासियों को उनको अपनी जड़ों से जोड़ा जा रहा है। अंतत: प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला योग दिवस प्राचीन परंपरा के कालातीत ज्ञान और सार्वभौमिकता का स्मरण कराता है।

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