बालकृष्ण आचार्यश्री पतंजलि-इ सिरमौर

बालकृष्ण आचार्यश्री पतंजलि-इ सिरमौर

प्रफुल्ल चंद्र कुँवर ‘बागी’  रेशमी शहर, भागलपुर, बिहार
‘‘नव-धन्वन्तरि सप्त वचन’’, सुनते जन-गण गौर।
बालकृष्ण आचार्यश्री, पतंजलि-इ सिरमौर।।
पाँच माफिया लूटते, तन-मन-धन ‘‘हिन्देश’’।
संपादक की कलम से, पढ़ा ‘‘योग-संदेश’’।।
नर कोरोना काल में, रखें स्वयं को स्वस्थ।
कैसे ? श्रीमन कह रहे, वैद्यराज शीर्षस्थ।।
1.    अग्नाशय, दिल, फेफड़े, होते जब कमजोर।
    जीर्ण रोग व रक्तचाप, लो- इम्युनिटी घोर।।
    रोगों के वायरस, करते प्रथम शिकार।
    नियमित प्राणायाम अरु योग करे संहार।।
    प्रतिरक्षा के तंत्र को, करते ये मजबूत।
    ऋषि-अर्चन (रिसर्च) यही, मिलते ग्रंथ सबूत।।
2.    आस्था चैनल पर दिखें, स्वामीजी जीवंत।
    प्रात:-सायं नित करें, अभ्यासी श्रीमंत।।
    सुबहो-शाम कार्यक्रम, ‘‘दर्शन आयुर्वेद’’।
    जीवन-शैली स्वस्थ करें, जन-गण बिना विभेद।।
3.    देश आत्मनिर्भर बने, पीएम का आह्वान।
    ‘‘सबसे बढक़र स्वास्थ्य धन’’, ध्यान रखें श्रीमान।।
    जहरीले केमिकल्स से, बने हुए प्रोडक्ट।
    बनें स्वदेशी-भक्त जन, दूजा करें रिजेक्ट।।
    मिलावटी हर जंक फुड, केयर के सामान।
    हेल्थ आत्मनिर्भर बने, अपना हिंदुस्तान।।
    गगन मगन ‘‘भोर-तारा’’, होने को अब भोर।
    बालकृष्ण आचार्यश्री, पतंजलि-इ सिरमौर।।
4.    लोकल अब ग्लोबल बने, लें वोकल संकल्प।
    अभी जरूरत है यही, कोई नहीं विकल्प।।
    इस्ट इण्डिया, युनिलिवर, मल्टिनेशनल, चीन।
    लक्ष सहस्र कोटि लुटे रूपे, भारत क्षीण।।
    पतंजलि अरु सोयारुचि के देशी उत्पाद।
    अपनाएं पर छोड़ दें, परदेशी नि:स्वाद।।
5.    देश एक बाजार नहिं, पातंजल परिवार।
    इसी भावना से सतत् बढ़ता कारोबार।।
    दैनिक जीवन के लिये, आवश्यक सामान।
    पतंजलि में बना रहे, इसका हमें गुमान।।
    नाना हेल्दी, नेचुरल, केयर, फुड, परिधान।
    जीवन, सेहत के लिये, बना आज वरदान।।
    दंत-केश कांति, साबुन, एलोवेरा जेल।
    फेशवॉश हर्बल सुलभ, सेहतकर हर तेल।।
    होम केयर प्रोड्टक्स, बार, गोनाइल व्याप्त।
    हर्बल वॉश, ग्रीन लैश, मूल्य न्यूनतम प्राप्त।।
6.    तुलसी, गिलोय धनवटी, अश्वगंध कैप्सूल।
    आयुर्वेद के प्रयोग से रोग हों धूल।।
    च्यवनप्राश व शिलाजीत, फार्मेसी से दिव्य।
    आयुर्वेदिक औषधियाँ, प्राकृतिक ही सेव्य।।
    मिले न्यूनतम मूल्य पर, नैसर्गिक उत्पाद।
    जीवन-शैली प्राकृतिक, करें प्रकृति संवाद।।
    ऋषि-कृषि सुपरपरा को पुन: दे रहे ठौर।
    बालकृष्ण आचार्यश्री, पतंजलि-इ सिरमौर।।
7.    विज्ञापन, ग्लैमर बना, आकर्षण का केन्द्र।
    कुछ तो अब बदलाव हो! सत्ताधीश नरेन्द्र।।
    अभी तलक माँ भारती, एम.एन.सी कौर!!!
    पूछ रहे आचार्यश्री, पतंजलि-इ सिरमौर।।
८.    संपादकीय आलेख में, भारत जीवन-सार।
    भारतवासी तय करें, खुद अपना उद्धार।।
    यही योग-संदेश है, आयुर्वेदिक सार।
    भारत स्वाभिमान यही, हो स्वदेश से प्यार।।
    बालकृष्ण आचार्य के क्रांतिकारी विचार।
    भारत निर्भर आत्म हो, सेहत करे सुधार।।
    आयुर्वेद-शिरोमणी, कनखल-वासी और।
    बालकृष्ण आचार्यश्री, पतंजलि-इ सिरमौर।।  

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