पतंजलि योगपीठ में श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन पर्व) व उपनयन संस्कार कार्यक्रम

पतंजलि योगपीठ में श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन पर्व) व उपनयन संस्कार कार्यक्रम

  • गुरु परब्रह्म का साक्षात श्रीविग्रह है : पूज्य स्वामी जी 
     
  • श्रावणी उपाकर्म मनुष्य के श्रेष्ठ संस्कारों की आधारशिला है : श्रद्धेय आचार्यश्री
आचार्यकुलम् सहित सभी शिक्षा प्रकल्पों के 700 विद्यार्थियों का श्रावणी उपाकर्म व वेदारंभ संस्कार वैदिक रीति से संपन्न हुआ।
हरिद्वार, 19 अगस्त। पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन पर्व) पर पतंजलि परिवार की बहनों ने पतंजलि योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज को रक्षासूत्र बांधे। इस सुअवसर पर 51 कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें परमश्रद्धेय आचार्यश्री की गरिमामयी उपस्थिति में सत्र 2024-25 में विविध कक्षाओं के नव प्रवेश प्राप्त कुल 700 विद्यार्थियों का श्रावणी उपाकर्म व वेदारंभ संस्कार वैदिक रीति से संपन्न हुआ।
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मंत्रोच्चार के मध्य आचार्यश्री ने प्रत्येक क्रियाविधि की सरल व्याख्या करते हुए कहा- ‘‘श्रावणी उपाकर्म मनुष्य के श्रेष्ठ संस्कारों की आधारशिला है। गुरु शरणागति में आज संस्कारित ब्रह्मचारियों का दूसरा जन्म होता है और वे द्विज कहलाते हैं। यज्ञोपवीत असाधारण व अभिमंत्रित सूत्र है, जिसके तीन तंतुओं में क्रमश: ऋक्, यजु , साम तथा गं्रथि में अथर्ववेद की प्रतिष्ठा होती है। दीक्षाप्राप्त बटुकों सहित हम सभी को वेदोक्त श्रेष्ठ व्रतों का सदैव पालन करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि आज पतंजलि में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, दलित सब जाति, समुदाय व वर्गों के और भाईयों व बहन-बेटियों का एक-साथ यज्ञोपवित संस्कार करवाया गया है जो इस बात का प्रतीक है कि सनातन धर्म में जाति, स्त्री-पुरुष या लिंगभेद के नाम पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है।
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आचार्यश्री ने सभी विद्यार्थियों को दिव्य स्पर्श कर अपने ब्रह्मचारियों के रूप में अंगीकार किया। विद्यार्थियों के अभिभावक भी इस शुभ घड़ी के प्रत्यक्ष साक्षी बने तथा अपने पाल्यों को भिक्षा व शुभाशीष प्रदान किया।
दूरभाष से आशीर्वचन प्रदान करते हुए परम पूज्य स्वामीजी महाराज ने कहा-‘‘गुरु परब्रह्म का साक्षात श्रीविग्रह है। आचार्यकुलम् सहित पतंजलि के सभी शिक्षा प्रकल्प गुरु-शिष्य परंपरा के पावन अधिष्ठान हैं, जहाँ योग व अध्यात्म से प्राप्त संस्कारों से विद्यार्थी का रूपांतरण किया जाता है।
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कार्यक्रम में आचार्यकुलम् की उपाध्यक्षा डॉ. ऋतम्भरा शास्त्री, क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल शर्मा, संप्रेषण विभाग प्रमुख बहन पारूल शर्मा, साध्वी देवसुमन आदि ने पूज्य आचार्य जी महाराज को रक्षासूत्र बांधे। बहन ऋतंभरा शास्त्री,  पूज्य स्वामी अर्जुनदेवजी व उप-प्राचार्य आदरणीय श्री तापस कुमार बेराजी ने विद्यार्थियों को अपने कर-कमलों से भिक्षादान व सुमनवृष्टि कर शुभाशीष प्रदान किया।

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