जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में एक लाख पौधों का निशुल्क वितरण एवं वृक्षारोपण

स्वामी रामदेव ने लाँच किया वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया का पोर्टल

जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में एक लाख पौधों का निशुल्क वितरण एवं वृक्षारोपण

  • 2000+ स्थानों पर देशभर में तहसील स्तर पर वृक्षारोपण व जड़ी-बूटी वितरण
     
  • 1000+ लोगों ने किया रक्तदान
     
  • 280 लोगों का नि:शुल्क नेत्र परीक्षण तथा नि:शुल्क चश्मों का वितरण
     
  • 412 लोगों का नि:शुल्क दंत परीक्षण तथा नि:शुल्क डेंटल किट वितरण
  • आचार्य जी का जीवन कर्ममय, पुरुषार्थमय व परमार्थमय : स्वामी रामदेव 
     
  • जन्मदिवस तो मात्र बहाना है, निरंतर राष्ट्रसेवा के कार्य करते हुए, पेड़-पौधे लगाना हमारा लक्ष्य : आचार्य बालकृष्ण
   पतंजलि योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मदिवस पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 के योगभवन सभागार में जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी व श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी के साथ-साथ पूरे देश में स्थापित पतंजलि योग समितियों के माध्यम से एक लाख से अधिक औषधीय पौधों यथा- नीम, तुलसी, एलोवेरा, लौंग तुलसी, आंवला आदि का नि:शुल्क वितरण तथा रोपण किया गया। यह आयोजन विशेष पखवाड़े में किया गया जिसमें जन्मदिवस के पूर्व आचार्य जी के नेतृत्व में पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासियों ने माला गांव में जाकर हजारों पौधों का रोपण किया। साथ ही स्वयं आचार्य जी द्वारा रक्तदान से प्रेरित होकर हरिद्वार में 887 यूनिट तथा पूरे देश में स्थापित पतंजलि योग समितियों के माध्यम से एक हजार से अधिक यूनिट रक्तदान किया गया।

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वृक्षारोपण का संकल्प
जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर स्वामी रामदेव जी व आचार्य बालकृष्ण जी ने उपस्थित जनसमूह को स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र व स्वस्थ विश्व के लिए वृक्षारोपण हेतु संकल्पित कराया। स्वामी जी व आचार्य जी ने वृक्षारोपण कर जनसामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया।
आचार्यश्री ने 50 वर्षों से अधिक तप एवं पुरुषार्थ किया : पूज्य स्वामी रामेदव
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव जी महाराज ने आचार्य जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आचार्य जी का जीवन कर्ममय, पुरुषार्थमय व परमार्थमय है। पूर्वजों से प्राप्त अपने सनातन, सांस्कृतिक शाश्वत तत्वों को जीवन में आत्मसात कर जगत के कल्याण के लिए पूज्य आचार्यश्री ने 50 वर्षों से अधिक तप एवं पुरुषार्थ किया है जो हम सभी के लिए सदैव प्रेरणा देता रहेगा।

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वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया का पोर्टल लाँच
इस अवसर पर आचार्य जी ने कहा कि जन्मदिवस तो मात्र बहाना है, निरंतर राष्ट्र सेवा के कार्य करते हुए, पेड़-पौधे लगाना हमारा लक्ष्य है। हमारी दृष्टि में जन्मदिवस हमारे पूरे साल के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड पेश करने तथा भविष्य के लिए चिंतन-मनन करने का दिन है।
कार्यक्रम में स्वामी जी व आचार्य जी ने वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया का पोर्टल लाँच किया। आचार्य जी ने बताया कि इस पोर्टल में लगभग 7500 पादप वंश, लगभग 50 हजार से अधिक पादप प्रजातियाँ, 2000 से अधिक भाषाओं (संस्कृत भाषा के नामों सहित), 12 लाख स्थानीय नामों संस्कृत भाषा सहित, 2.5 लाख पर्यायवाची, 6.5 लाख यूनिक रेफरेंस कोड को एक साथ सूत्रबद्ध किया गया है। साथ ही पोर्टल में 10 से अधिक वनस्पति विज्ञान आधारित औषधीय प्रणाली, 964 उपचार पद्धति, 2000 से अधिक स्थानीय समुदायों तथा 2.5 लाख फॉल्क फॉर्मेशन की जानकारी को व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया है।
शल्य आधारित सम्मेलन ‘सुश्रुतकॉन’ का उद्घाटन 
आचार्य जी ने बताया कि आज ही पतंजलि विश्वविद्यालय में शल्य तंत्र आधारित तीन दिवसीय सम्मेलन ‘सुश्रुतकॉन’ का उद्घाटन किया जा रहा है। उपस्थित जनसमूह एवं स्वास्थ्य साधकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि आयुर्वेद की शल्य परम्परा को पतंजलि के माध्यम से नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत शल्य की पूरी प्रक्रिया को आमजन आधुनिक तकनीक के माध्यम से लाईव देख सकेंगे। इस अवसर पर शल्य तंत्र पर आधारित त्रिदिवसीय सम्मेलन की स्मारिका ‘सुश्रुतकॉन’ का भी विमोचन किया गया।
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कार्यक्रम में हरिद्वार में 887 यूनिट के साथ पूरे देश में स्थापित पतंजलि योग समितियों के माध्यम से हजारों यूनिट रक्तदान किया गया। साथ ही हरिद्वार में 280 लोगों का नि:शुल्क नेत्र परीक्षण व नि:शुल्क चश्मों का वितरण, 412 लोगों की नि:शुल्क दंत चिकित्सा व नि:शुल्क डेंटल किट वितरण, व्यापक स्तर पर औषधीय पौधों का वितरण व वृक्षारोपण का कार्य किया गया। इस अवसर पर लाखों औषधीय पौधों यथा- नीम, तुलसी, एलोवेरा, लौंग तुलसी, आंवला आदि का नि:शुल्क वितरण किया गया।
कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध सभी प्रकल्पों तथा शिक्षण संस्थानों के संन्यासी, अधिकारी, कर्मयोगी, शिक्षकगण तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
 

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