हेपेटाइटिस (Hepatitis)
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स्वामी समग्रदेव
पतंजलि संन्यासाश्रम, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार
हेपेटाइटिस क्या है? हेपेटाइटिस के कितने प्रकार हैं? हेपेटाइटिस के कारण क्या हैं? हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं? हेपेटाइटिस का निदान क्या है? हेपेटाइटिस का उपचार क्या है? हेपेटाइटिस में डायट कैसी होनी चाहिए? हेपेटाइटिस से बचाव क्या हैं?
हेपेटाइटिस क्या है?
हेपेटाइटिस (Hepatitis) मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। हेपाटाइटिस में 5 प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे- ए, बी, सी, डी और ई। इन पांचों वायरस को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि इनके कारण ही हेपेटाइटिस महामारी जैसी बनती जा रही है और हर साल इसकी वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। हेपेटाइटिस का टाइप-बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता पैदा करने और जन्म के बाद बच्चे को वैक्सीन देकर उसे हेपेटाइटिस से बचाया जा सकता है।
हेपेटाइटिस के कितने प्रकार हैं?
हेपाटाइटिस वायरल इन्फेक्शन के कारण होता है जो वायरस के अनुसार 5 प्रकारों में विभाजित किया गया है। ये 5 प्रकार दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का कारण बन गए हैं।
हेपेटाइटिस-ए : WHO के अनुसार हर साल 1.4 मिलयन लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। ये दूषित भोजन और दूषित पानी के सेवन करन से होता है ।
हेपेटाइटिस-बी : इन्फेक्टेड ब्लड के ट्रांसफ्यूशन, सिमेन और दूसरे फ्लूइड के इक्सपोशर के कारण यह संक्रमित होता है।
हेपेटाइटिस-सी : यह हेपेटाइटिस-सी वायरस (HCV) के कारण होता है। यह ब्लड और इन्फेक्टेड इन्जेक्शन के इस्तेमाल से होता है।
हेपेटाइटिस-डी : यह हेपेटाइटिस-डी वायरस (HDV) के कारण होता है। जो लोग पहले से एचबीवी वायरस के इन्फेक्टेड होते हैं वे ही इस वायरस से संक्रमित होते हैं। एचडीवी और एचबीवी दोनों के एक साथ होने के कारण स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
हेपेटाइटिस-ई : हेपेटाइटिस-ई वायरस (HEV) के कारण यह होता है। दुनिया के ज्यादातर देशों में हेपेटाइटिस के संक्रमण का यही कारण है। यह विषाक्त पानी और खाना के कारण ज्यादा होता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस को गम्भीरता के आधार पर भी पहचाना जाता है-
एक्यूट हेपेटाइटिस : अचानक लीवर में सूजन होता है जिसका लक्षण छह महीने तक रहता है और रोगी धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। एचएवी इन्फेक्शन के कारण आम तौर पर एक्यूट हेपैटाइटिस होता है।
क्रॉनिक हेपेटाइटिस : क्रॉनिक एचसीवी इन्फेक्शन से 13-150 मिलयन लोग दुनिया भर में प्रभावित होते हैं। लीवर कैंसर और लीवर के बीमारी के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग मरते हैं। एचइवी इन्फेक्शन क्रॉनिक रोगी का इम्यून सिस्टेम भी बूरी तरह से इफेक्ट होता है।
हेपेटाइटिस के कारण क्या हैं?
लीवर में सूजन होने के कारण हेपेटाइटिस रोग होता है। इस वायरल इन्फेक्शन के कारण जान को खतरा भी हो सकता है, मतलब हेपेटाइटिस एक जानलेवा इंफेक्शन है। इसके कई कारण हो सकते हैं-
वायरल इन्फेक्शन : खासकर, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरल इंफेक्शन के कारण होता है।
ऑटोइम्यून स्थितियां : अक्सर, शरीर के इम्यून सेल से यह पता चलता है कि लीवर की सेल्स को डैमेज पहुंच रहा है।
शराब पीना : अल्कोहल हमारे लीवर द्वारा डायरेक्टली मेटाबोलाइज़्ड होता है, जिसके कारण यह शरीर के दूसरे भागों में भी इसका सर्कुलेशन होने लगता है। इसलिए, जब कोई बहुत अधिक शराब या अल्कोहल का सेवन करता है, तो उस व्यक्ति के लिए हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
दवाइयों का साइड-इफेक्ट्स : यह भी हेपेटाइटिस का एक प्रमुख कारण है। कुछ विशेष दवाइयों के ज़्यादा सेवन से लीवर सेल्स में सूजन होने लगती है और हेपेटाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआत में बहुत स्पष्ट लक्षण नहीं दिखायी पड़ते हैं। लेकिन, इंफेक्शियस और क्रोनिक हेपेटाइटिस में ये समस्याएं काफी स्पष्ट तरीके से लक्षण के तौर पर दिखायी पड़ती हैं-
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जॉन्डिस या पीलिया
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यूरीन का रंग बदलना
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बहुत अधिक थकान
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उल्टी या जी मिचलाना
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पेट दर्द और सूजन
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खुजली
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भूख ना लगना या कम लगना
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अचानक से वजऩ कम हो जाना
हेपेटाइटिस का निदान क्या है?
लक्षणों को ध्यान में रखते हुए और स्थिति की गम्भीरता के आधार पर डॉक्टर्स हेपेटाइटिस का निदान करते हैं। लीवर में सूजन, त्वचा की रंगत पीली होना, पेट में में फ्लूइड होना आदि को देखकर फिजिक़ल एक्ज़ामिनेशन करने को कहते हैं। इसके लिए इन टेस्ट को करने की सलाह दी जाती है-
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पेट का अल्ट्रासाउन्ड
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लीवर फंक्शन टेस्ट
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ऑटोइम्यून ब्लड मार्कर टेस्ट
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लिवर बायोपसी
हेपेटाइटिस का उपचार क्या है?
एक्यूट हेपेटाइटिस कुछ हफ्ते में कम होने लगते हैं और मरीज़ को आराम मिलने लगता है। जबकि, क्रोनिक हेपेटाइटिस के लिए दवाई लेने की ज़रूरत होती है। लीवर खराब हो जाने पर लीवर ट्रांसप्लांटेशन भी एक विकल्प है।
हेपेटाइटिस में डायट कैसी होनी चाहिए?
हेल्दी डायट की मदद से हेपेटाइटिस की समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है। हालांकि, स्थिति की गम्भीरता और लीवर की सूजन के आधार पर डायट निर्धारित की जाती है। साथ ही डायट से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखने से भी मदद होती है।
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अपनी डायट में फूलगोभी, ब्रोकोली, बीन्स, सेब, एवाकाडो का समावेश करें।
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प्याज़ और लहसुन जैसे पारम्परिक मसालों को अपने भोजन में शामिल करें।
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खूब पानी पीएं, ताज़े फलों का जूस पीएं।
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अल्कोहल का सेवन न करें, गेंहू का सेवन कम करें।
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जंक फूड, मैदे से बने फूड्स, प्रोसेस्ड फूड और मीठी चीज़ों के सेवन से बचें।
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भोजन को चबा-चबाकर खाएं। इससे, भोजन पचने में आसानी होगी।
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एक साथ भारी भोजन करने की बजाय कम मात्रा में 4-6 बार भोजन करें।
हेपेटाइटिस के लिए प्राकृतिक चिकित्सा क्या है?
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हॉट कोल्ड कंप्रेस -यकृत पर
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मिट्टी लेप - यकृत पर
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गैस्ट्रो हैपेटिक पैक - यकृत पर
हेपेटाइटिस के लिए औषधि क्या हैं?
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सर्वकल्प क्वाथ
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कायाकल्प क्वाथ
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टोटला क्वाथ
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लिवोग्रिड वाइटल -भोजन से पूर्व
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लीवामृत - भोजन के पश्चात
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पुनर्नवादिमंडूर - भोजन के पश्चात
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इम्यूनोग्रिड टेबलेट - भोजन के पश्चात
हेपेटाइटिस के लिए योग क्या है?
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आसन
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मंडूकासन
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शशांक आसन
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योग मुद्रासन
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वक्रासन
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गोमुखासन
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पवन मुक्तासन
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सेतुबंधासन
आदि आसनों का अभ्यास स्वास्थ्य साधक को करना चाहिए ।
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प्राणायाम
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भस्त्रिका प्राणायाम
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कपालभाति प्राणायाम
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अनुलोम-विलोम प्राणायाम
स्वास्थ्य साधक को इन आसन व प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। आसनों के साथ धीरे-धीरे कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने से विशेष लाभ होता है।
हेपेटाइटिस से बचाव क्या हैं?
हेपेटाइटिस बी और सी की रोकथाम वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रयाल करने से हो सकता है। इसके अलावा बच्चों को हेपेटाइटिस से सुरक्षित रखने के लिए लिए वैक्सीन्स दी जा सकती हैं। सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन [Center for Disease Control and Prevention (CDC)] के अनुसार 18 साल के उम्र तक और उससे वयस्क लोगों को 6-12 महीने में 3 डोज़ दी जानी चाहिए। इस तरह उन्हें, हेपेटाइटिस से पूर्ण सुरक्षा मिलेगी। साथ ही इन बातों का ख्याल रखें-
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अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें, इससे इन्फेक्शन का खतरा कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
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सेफ सेक्स
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टैटू करवाते समय सुरक्षित उपकरणों का इस्तेमाल सुनिश्चित करें ।
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कान में छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उपकरण सुरक्षित और इंफेक्शन-फ्री हैं।
आधुनिक उपचार विज्ञान में हेपेटाइटिस को इंक्यूरेबल रोग के अंतर्गत रखा जाता है लेकिन इसके अनेकों उदाहरण हमारे पास हैं जहाँ पतंजलि निर्देशित योग, औषधि और उपचार के माध्यम से रोगी लाभान्वित हुए हैं।
1. अजय मेहता, नागपुर महाराष्ट्र, आयु - 48
8 साल पहले मुझे हेपेटाइटिस-बी की समस्या हुई जिसके कारण मेरा बिलरुबिन भी बढ़ गया था, डाइजेशन भी ठीक तरीके से नहीं हो रहा था व ग्लूकोमा की भी समस्या हो गई थी। तत्पश्चात हमें पतंजलि वैलनेस का पता चला। फिर हमने वहाँ से अपना इलाज करवाया। वहाँ पर विभिन्न थेरेपियों व योग द्वारा मुझे विशेष लाभ प्राप्त हुआ। वहाँ से आने के बाद जैसे डॉक्टर ने मुझे लीवामृत खाने के लिए कहा मैंने उसका निरन्तर सेवन किया और आज लगभग 1 साल हो गया, मेरा बिलीरुबिन बिल्कुल ठीक है। इनडाइजेशन की कोई समस्या नहीं और हेपेटाइटिस-बी पूर्ण रूप से ठीक हो गया और हर रोज योग का पालन कर रहा हूँ।
2. जगदीश, राजस्थान, आयु - 55
26 साल से मुझे हेपेटाइटिस-बी की समस्या थी। मैंने अनेक डॉक्टर को दिखाया फिर भी मेरी समस्या का निवारण नहीं हो पा रहा था। फिर मैं जयपुर के एक बहुत ही फेमस डॉक्टर के पास अपना इलाज शुरू किया। वहाँ भी मेरे हजारों रुपए खर्च हो गए किंतु कोई लाभ नहीं हुआ लास्ट में डॉक्टर ने भी कहा की दवाई खाओ और मजे करो। फिर मैंने उनकी एलोपैथी की एक भी दवाई नहीं खरीदी। तत्पश्चात मैं पतंजलि वैलनेस आया और यहाँ से मैंने अपना ट्रीटमेंट शुरू किया। यहाँ मुझे थेरेपी से तीन-चार दिन में ही विशेष लाभ लग गया था फिर वहाँ से जाते समय डॉक्टर ने मुझे लीवामृत, सर्वकल्प क्वाथ आदि औषधियों का सेवन करने के लिए कहा। मैंने निरंतर इसका सेवन किया आज लगभग डेढ़ साल हो गए मुझे हेपेटाइटिस-बी पर विजय प्राप्त किए हुए। मुझे अस्थमा भी रहता था, वह समस्या भी अब दूर हो गई। मुझे अनिद्रा, बीपी की समस्या केसाथ-साथ प्लेटलेट्स भी कम रहती थी, यह सभी समस्याएं भी खत्म हो गई। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ, पूज्य स्वामी रामदेव का बहुत आभारी हूँ।
3. सतेन्द्र, कैमूर (बिहार), आयु - 53
2013 में हेपेटाइटिस बी की समस्या हुई थी जिसके कारण मेरे शरीर में वीकनेस होने लगी मेरा हीमोग्लोबिन भी असामान्य रहने लगा। तत्पश्चात मैंं पतंजलि वैलनेस आया और मैंने अपना इलाज शुरू किया। वहाँ पर मैंने अनेकों थैरेपियाँ कार्रवाई जिससे मुझे बहुत लाभ हुआ। वहां से आने के बाद गोधन अर्क, सर्वकल्प क्वाथ, टोटला क्वाथ, लिवामृत का सेवन किया एवं योग व प्राणायाम किया। आज लगभग 4 साल हो मुझे हेपेटाइटिस-बी की समस्या पर विजय पाए। मैं प्रतिदिन आस्था चैनल से स्वामी जी को देखकर योग करता हूँ और अपने आप को स्वस्थ महसूस करता हूँ।
4. धर्मराज, कोलकाता (पश्चिम बंगाल), आयु - 38
2018 में मुझे हेपेटाइटिस-बी की समस्या हुई थी जिसके कारण मेरे शरीर में अनेकों समस्या होने लगी। फिर मैं पतंजलि वैलनेस आया, वहाँ पर मैंने अपना इलाज करवाया व थैरपियाँ ली जिससे मुझे बहुत अच्छा लगा। वहाँ से आने के बाद डॉक्टर ने मुझे सर्वकल्प क्वाथ लीवोग्रीट एडवांस्ड, लीवामृत सिरप आदि औषधियों के सेवन के लिए कहा। मैंने निरंतर उन दवाइयों का सेवन किया जिसका मुझे आशातीत लाभ मिला। आज लगभग 1 साल हो गया मैंने हेपेटाइटिस पर विजय पा ली है। अभी मैंने हेपेटाइटिस की दवाइयाँ भी बंद कर दी हैं।
5. जगदीश रावत, पलवल (हरियाणा), आयु - 46
2006 में हेपेटाइटिस-बी पॉजिटिव हुआ था। बाद में मुझे हार्ट की समस्या भी हो गई थी। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोल दिया था। उसके बाद मुझे पतंजलि वैलनेस का पता लगा फिर मैं वहां पर आया और अपना ट्रीटमेंट करवाया वहां से मुझे बहुत लाभ प्राप्त हुआ उसके बाद डॉक्टर ने मुझे हिपीडोम लीवामृत लीवोग्रीट चंद्रप्रभावटी आदि दवाइयां का सेवन करने के लिए और डाइट का पालन करने के लिए कहा था मैंने उनका नियमित तरीके से पालन किया अब मैं पूरी तरीके से ठीक हूं ना ही मुझे हार्ट की समस्या है और ना ही मेरा हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव है मै अब स्वस्थ हूं हर रोज योग करता हूं ।
6. गोरखनाथ, अहमदनगर (महाराष्ट्र), आयु - 51 मुझे 7 साल से हेपेटाइटिस बी की समस्या थी .जिसके चलते मुझे कोलेस्ट्रॉल ,शुगर, डिप्रेशन की भी समस्या हो गई फिर मुझे पतंजलि वैलनेस का पता चला मैं वहां पर आया और 7 दिन अपना उपचार करवाया मेरी सभी एलोपैथी दवाइयां बंद हो गई थी और वहां से मेरे आयूर्वेदिक डॉक्टर ने लीवामृत ,गिलोय घनवटी दो दवाइयां का सेवन करने के लिए कहा मैंने उनका निरंतर सेवन किया और आस्था चैनल से स्वामी रामदेव जी को देखकर योग किया। आज लगभग 1 साल हो गया मैं पूरी तरीके से स्वस्थ हू।
7. दिनेश गुलेरिया, चण्डीगढ़, आयु - 52
मैंने हेपेटाइटिस बी की समस्या थी मेरे शरीर में हेपेटाइटिस-बी के कारण कोई विशेष परिवर्तन तो नहीं हो रहा था किंतु फिर भी मैं पतंजलि वैलनेस आकर के अपना इलाज करवाना चाह रहा था तत्पश्चात में पतंजलि वैलनेस आया वहाँ योग व थेरेपी से मेरा हेपेटाइटिस ठीक हो गया ।
8. विश्वास वामन बन्दलन, पुणे महाराष्ट्र, आयु - 38
मुझे हेपेटाइटिस-बी की समस्या थी मैंने पतंजलि वैलनेस आने से पहले अपने हेपेटाइटिस-बी का टेस्ट करवाया था जो की पॉजिटिव आया था फिर वैलनेस आने के बाद मेरी थैरेपिया आहार व योग आदि ट्रीटमेन्ट चला जिससे मुझे 4 दिन बाद ही अच्छा महसूस होने लगा फिर मैंने चौथे दिन ही हेपेटाइटिस का टेस्ट दोबारा करवाया जो की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी।
8. हजारी प्रसाद, बिहार, आयु - 60
22 साल पहले हेपेटाइटिस-बी पॉजिटिव हो गया था 20 साल तक पी.जी.आई लखनऊ में इलाज करवाते रहे लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ कोविड के समय अस्पताल न जाने के कारण लीनोग्रीट वह लीवामृत लिया योग प्राणायाम किया वह हेपेटाइटिस नेगेटिव हो गया वह शुगर भी नॉर्मल हो गया।
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