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योग संदेश
शाश्वत प्रज्ञा
आत्म निर्माण, चरित्र निर्माण, राष्ट्र्र निर्माण से नये युग के निर्माण का संकल्प
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा में विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ
छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक
त्रिदोष संतुलन हेतु आहार ही उपचार है
छत्रपति शिवाजी महाराज
यूरो अमेरिकी और भारतीय चिकित्सा विज्ञान एवं पद्धतियाँ
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य........
वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया औषधीय चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर
मैडम तुसाद, न्यूयार्क में योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज की मोम की प्रतिकृति (Wax Figure) का अनावरण
आश्चर्यजनक ‘मानव शरीर’
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर राम की पैड़ी, अयोध्या में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज का उद्बोधन
प्राचीन भारतीय साहित्य में विज्ञान
बढ़ती उम्र को कण्ट्रोल करें : इम्यूनोग्रिट
लिवर रोगों मे गिलोय की उपयोगिता को अब ब्रिटिश फार्मा ने भी माना
स्वास्थ्य समाचार
गर्भावस्था में उभरने वाले रोगों के लक्षण
‘नारी’समाज की आदर्श शिल्पकार
जीवन की उत्पत्ति
क्रोनिक किडनी रोग क्या है?
विज्ञान और अध्यात्म
राम नाम मानस संजीवनी
आचार्यकुलम् का शिक्षणरोहण समारोह सम्पन्न
पतंजलि विश्वविद्यालय में हुआ गुरु कृतज्ञता पर्व का आयोजन
पतंजलि अनुसंधान संस्थान और केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर
स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी धर्म व वेद के विग्रहवान स्वरूप : स्वामी रामदेव
श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की महत उपयोगिता
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन करेगा कोविड के नये वैरिएंट ऑमीक्रोन JN-1 के नये स्पाइक प्रोटीन पर अनुसंधान
पतंजलि गुरुकुलम्
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
विश्व धनिकों की सूची में आना नहीं है लक्ष्य, सेवा व परोपकार ही एकमात्र ध्येय
पतंजलि गुरुकुलम् शिलान्यास समारोह में माननीय रक्षा मंत्री जी का उद्बोधन
पतंजलि गुरुकुलम् शिलान्यास समारोह में मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी का उद्बोधन
शिलान्यास समारोह की मुख्य झलकियाँ
स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर का शिलान्यास कार्यक्रम
स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय का गौरवमयी इतिहास व विशिष्ट सम्मतियाँ
राजा कालस्य कारणं
राजधर्म की प्राचीन परंपरा
एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या: मधुमेह का आयुर्वेदिक समाधान
स्वास्थ्य समाचार
गर्भावस्था में उभरने वाले रोगों के लक्षण
''त्यौहार''
जीवन की उत्पत्ति
पतंजलि संस्थान कृषि क्रांति हेतु कर रहा नवीन प्रयोग
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
शाश्वत प्रज्ञा योग संदेश 2023 दिसम्बर परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...........
पतंजलि से निरंतर जारी है 'आयुर्वेद से आरोग्ता का अभियान’यह व्यापार नहीं, सेवा का संकल्प है
विशिष्ट उद्बोधन
चाणक्य के अर्थशास्त्र में राज्य की व्यवस्था एवं स्वरूप
शाश्वत प्रज्ञा
सम्पादकीय
फार्मा षड़यंत्र
भारतीय शिक्षा
राष्ट्र निर्माण
राष्ट्र निर्माण
राष्ट्र-चिंतन
भावी कार्य योजना
सनातन वैभव
संस्कृति एवं संस्कार
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December
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April
November
December
योग संदेश
शाश्वत प्रज्ञा
आत्म निर्माण, चरित्र निर्माण, राष्ट्र्र निर्माण से नये युग के निर्माण का संकल्प
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा में विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ
छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक
त्रिदोष संतुलन हेतु आहार ही उपचार है
छत्रपति शिवाजी महाराज
यूरो अमेरिकी और भारतीय चिकित्सा विज्ञान एवं पद्धतियाँ
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य........
वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया औषधीय चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर
मैडम तुसाद, न्यूयार्क में योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज की मोम की प्रतिकृति (Wax Figure) का अनावरण
आश्चर्यजनक ‘मानव शरीर’
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर राम की पैड़ी, अयोध्या में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज का उद्बोधन
प्राचीन भारतीय साहित्य में विज्ञान
बढ़ती उम्र को कण्ट्रोल करें : इम्यूनोग्रिट
लिवर रोगों मे गिलोय की उपयोगिता को अब ब्रिटिश फार्मा ने भी माना
स्वास्थ्य समाचार
गर्भावस्था में उभरने वाले रोगों के लक्षण
‘नारी’समाज की आदर्श शिल्पकार
जीवन की उत्पत्ति
क्रोनिक किडनी रोग क्या है?
विज्ञान और अध्यात्म
राम नाम मानस संजीवनी
आचार्यकुलम् का शिक्षणरोहण समारोह सम्पन्न
पतंजलि विश्वविद्यालय में हुआ गुरु कृतज्ञता पर्व का आयोजन
पतंजलि अनुसंधान संस्थान और केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर
स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी धर्म व वेद के विग्रहवान स्वरूप : स्वामी रामदेव
श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की महत उपयोगिता
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन करेगा कोविड के नये वैरिएंट ऑमीक्रोन JN-1 के नये स्पाइक प्रोटीन पर अनुसंधान
पतंजलि गुरुकुलम्
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
विश्व धनिकों की सूची में आना नहीं है लक्ष्य, सेवा व परोपकार ही एकमात्र ध्येय
पतंजलि गुरुकुलम् शिलान्यास समारोह में माननीय रक्षा मंत्री जी का उद्बोधन
पतंजलि गुरुकुलम् शिलान्यास समारोह में मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी का उद्बोधन
शिलान्यास समारोह की मुख्य झलकियाँ
स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर का शिलान्यास कार्यक्रम
स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय का गौरवमयी इतिहास व विशिष्ट सम्मतियाँ
राजा कालस्य कारणं
राजधर्म की प्राचीन परंपरा
एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या: मधुमेह का आयुर्वेदिक समाधान
स्वास्थ्य समाचार
गर्भावस्था में उभरने वाले रोगों के लक्षण
''त्यौहार''
जीवन की उत्पत्ति
पतंजलि संस्थान कृषि क्रांति हेतु कर रहा नवीन प्रयोग
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
शाश्वत प्रज्ञा योग संदेश 2023 दिसम्बर परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...........
पतंजलि से निरंतर जारी है 'आयुर्वेद से आरोग्ता का अभियान’यह व्यापार नहीं, सेवा का संकल्प है
विशिष्ट उद्बोधन
चाणक्य के अर्थशास्त्र में राज्य की व्यवस्था एवं स्वरूप
योग संदेश
संस्कृति एवं संस्कार
2024
अप्रैल
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा में विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ
By
योग संदेश विभाग
On
01 Apr 2024 15:55:41
पूज्य
स्वामी
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
की
कथा
के
आयोजन
के
लिए
स्वामी
रामदेव
जी
व
पतंजलि
परिवार
का
हृदय
से
धन्यवाद।
हिन्दु
साम्राज्य
वर्ष
को
350
वर्ष
पूर्ण
हो
रहे
हैं
जिसका
वर्ष
भर
उत्सव
चलेगा
,
इसका
आरम्भ
छत्रपति
के
अंश
बने
स्वामी
रामदेव
जी
के
द्वारा
पतंजलि
योगपीठ
से
होने
पर
हमें
गर्व
है।
रामायण
और
महाभारत
के
सभी
गुणों
को
एकत्र
करने
पर
जो
समुच्चय
बनता
है
,
वह
शिवाजी
महाराज
हैं।
एक
हजार
वर्ष
की
गुलामी
के
पश्चात
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
पहले
व्यक्ति
थे
जिन्होंने
भारत
के
स्वाभिमान
को
जगाया
,
अखिल
भारत
का
विचार
किया।
उनकी
दृष्टि
राष्ट्रीय
रही।
उन्होंने
अपने
परिवार
या
मराठों
के
लिए
कार्य
नहीं
किया।
उनका
दृष्टिकोण
था
कि
हमारे
सभी
तीर्थ
मुक्त
होने
चाहिए
और
हिन्दुत्व
का
स्वाभिमान
हम
सबके
भीतर
जगना
चाहिए।
वे
सभी
धर्मों
का
सम्मान
करते
हुए
भी
हिन्दुत्व
के
अभिमानी
थे।
हमारा
देश
पहले
से
ही
विश्व
गुरु
है
,
इसको
विश्व
गुरु
बनाने
की
आवश्यकता
नहीं
है
लेकिन
भारत
को
विश्व
गुरु
की
मान्यता
तब
मिलेगी
जब
इसकी
सेना
सबल
और
नागरिक
धनवान
होंगे।
संसार
का
कौन
सा
देश
हमें
क्या
सिखाएगा
,
मानवता
व
अध्यात्म
के
लिए
क्या
ज्ञान
व
मार्गदर्शन
देगा
,
विश्वगुरु
तो
यही
भारत
देश
है।
आज
के
समय
में
धन
से
काम
नहीं
होते
हैं
,
लेकिन
धन
के
बिना
बड़े
-
बड़े
काम
रूक
जाते
हैं।
इसको
आधुनिक
काल
के
महात्मा
हमारे
पूज्य
स्वामी
रामदेव
जी
महाराज
और
आचार्य
बालकृष्ण
जी
महाराज
ने
स्वयं
अनुभव
किया
और
दान
मांग
-
मांगकर
मानव
सेवा
व
देश
के
सृजन
के
कार्य
किए।
किंतु
लोगों
से
कितना
मांग
सकते
हैं
,
कौन
कितनी
सहायता
कर
सकता
है
,
जब
लक्ष्य
बड़ा
हो
तो
उसको
पूर्ण
करने
के
लिए
उसी
प्रकार
के
साधन
आवश्यक
होते
हैं
और
साधन
एकत्र
करने
के
लिए
धन
की
आवश्यकता
होती
है।
तब
पतंजलि
ने
देशसेवा
के
लिए
उद्योग
प्रारंभ
किया।
इतिहास
साक्षी
है
कि
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
ने
किसी
के
भी
प्रार्थना
स्थल
को
तोड़ा
नहीं
लेकिन
जहां
मंदिर
को
तोडक़र
अन्य
प्रार्थना
स्थल
बनाये
गये
थे
,
उनको
तोडक़र
वापस
मंदिर
बनाया
और
अपना
संकल्प
सिद्ध
किया।
ऐतिहासिक
प्रमाण
है
कि
शिवाजी
महाराज
ने
तिरूवणामलई
के
दो
देवालय
की
पुनर्स्थापना
की।
मूल
बात
यह
है
कि
जब
अनेक
लोगों
के
अत
:
करण
में
आंकाक्षाएँ
जागृत
होती
हैं
तो
स्वत
:
ही
हमारी
आंकाक्षायें
जागृत
हो
जाती
हैं।
यदि
वे
तीव्र
होंगी
तो
हमारा
तीव्र
संवेग
होगा
और
स्वत
:
ही
होगा।
जैसे
परमार्थ
से
वेद
उन्नति
करता
है
,
उसी
प्रकार
जब
पूरे
समाज
का
तीव्र
संवेग
हो
जाता
है
तो
इस
वातावरण
,
इस
अंधकार
से
हमें
बाहर
निकालने
के
लिए
किसी
को
तो
आना
ही
पड़ता
है।
और
महापुरुष
का
जन्म
कैसे
होता
है
,
संसार
को
नयी
दिशा
देने
वाले
महापुरुष
कैसे
आते
हैं
?
महापुरुष
सागर
के
तट
पर
एकत्र
होने
वाली
फेन
के
समान
होते
हैं
,
जब
सागर
में
लहरे
उठती
हैं
तो
वह
तट
से
टकराती
हैं
,
विलीन
होती
हैं
और
फिर
दूसरी
लहरें
आती
हैं।
इसी
प्रकार
से
यह
क्रम
चलता
रहता
है।
इस
प्रकार
से
लहरों
के
परस्पर
टकराने
से
तट
पर
फेन
इकट्ठा
हो
जाती
है
उसी
प्रकार
अनेक
लोगों
के
अंत
:
करण
में
अनेक
वर्षों
तक
,
कभी
-
कभी
पीढिय़ों
तक
जब
ये
भावनाएं
उठती
हैं
तब
महापुरुष
जन्म
लेते
हैं।
अंग्रेजों
ने
सबसे
पहले
हमें
शिक्षा
के
स्तर
पर
गुलाम
बनाया।
अंग्रेजों
से
पहले
हमारे
देश
में
कोई
भी
जिला
ऐसा
नहीं
था
जिसमें
गुरुकुल
संचालित
नहीं
थे।
1818
से
पहले
भारत
में
70
प्रतिशत
लोग
अत्यंत
शिक्षित
थे।
अंग्रेजों
ने
अपनी
शिक्षा
नीति
हम
पर
थोपकर
भारत
की
शिक्षा
को
बर्बाद
कर
दिया।
षड्यंत्रपूर्वक
हमारे
भारत
के
गौरवशाली
इतिहास
व
भारतीय
शासकों
की
पराक्रम
गाथा
को
पाठ्यक्रम
से
हटा
दिया
गया।
गांधी
जी
ने
भी
लंदन
में
भाषण
देते
हुए
कहा
था
कि
‘
आप
लोगों
ने
मेरे
देश
की
शिक्षा
पद्धति
को
नष्ट
किया
है।
’
पूज्य
स्वामी
रामदेव
जी
महाराज
छत्रपति
महाराज
ने
350
वर्ष
पूर्व
माँ
भवानी
की
उपासना
करके
जहाँ
अपने
सनातन
के
वैभव
को
अक्षुण्ण
रखा
,
वहीं
राष्ट्रधर्म
की
आराधना
करके
हिन्दवी
साम्राज्य
की
प्रतिष्ठा
की।
हिन्दवी
साम्राज्य
की
प्रतिष्ठा
के
350
वर्ष
पूर्ण
होने
पर
पहली
बार
व्यास
पीठ
से
पूज्य
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
के
श्रीमुख
से
यह
‘
छत्रपति
शिवाजी
कथा
हो
रही
है।
पूज्य
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
हमारी
संत
परम्परा
,
ऋषि
परम्परा
,
सनातन
परम्परा
के
बहुत
बड़े
महापुरुष
हैं
,
ऋषि
परम्परा
के
साक्षात
विग्रह
हैं।
जब
हम
सनातन
धर्म
के
संरक्षक
,
उद्गाता
,
उसके
प्रणेता
,
और
राष्ट्र
जागरण
के
पुरोधा
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
के
जीवन
को
देखते
हैं
तो
एक
महान
व्यक्तित्व
हमारी
आँखों
के
सामने
आ
जाता
है।
श्रद्धेय
महाराज
श्री
के
श्रीमुख
से
उनके
जन्म
,
हिन्दु
साम्राज्य
के
उनके
दृढ़
निश्चय
और
यवनों
,
मुगलों
व
क्रूर
अत्याचारियों
के
संहार
की
कथा
सबके
हृदय
को
बहुत
प्रकार
से
प्रेरित
करने
वाली
है।
शिवाजी
महाराज
की
कथा
के
विभिन्न
संदर्भ
हैं
जिसके
वैचारिक
,
सामाजिक
,
आध्यात्मिक
,
राजनैतिक
,
राष्ट्रीय
और
आने
वाले
दीर्घकालिक
उनके
पूरे
पक्ष
व
पहलुओं
को
पूज्य
स्वामी
गोविंद
देव
गिरि
जी
महाराज
ने
बहुत
तार्किक
और
व्यवहारिक
रूप
से
बताया
है।
इस
कथा
का
उद्देश्य
है
कि
हम
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
के
चरित्र
से
प्रेरणा
लेकर
अखण्ड
भारत
की
प्रतिष्ठा
को
आगे
बढ़ाएँ।
मत
,
पंथ
,
जाति
,
सम्प्रदाय
के
नाम
पर
बंटे
भारत
को
दोबारा
से
एकता
,
अखण्डता
,
सम्प्रभुता
के
साथ
भारत
में
तो
अक्षुण्ण
रखें
ही
,
साथ
ही
पाकिस्तान
,
अफगानिस्तान
,
इंडोनेशिया
,
मलेशिया
,
कम्बोडिया
,
अक्साई
चीन
तक
जो
भारत
का
साम्राज्य
फैला
था
,
उस
भारत
को
वापस
कैसे
जोड़ा
जा
सकता
है
,
इस
संकल्प
को
जागृत
करें।
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
ने
देश
को
मात्र
राजनैतिक
नेतृत्व
ही
नहीं
दिया
अपितु
सामाजिक
,
आर्थिक
,
धार्मिक
,
आध्यात्मिक
,
सांस्कृतिक
व
वैचारिक
दृष्टि
से
यह
राष्ट्र
कैसे
गौरवशाली
बने
,
परम
वैभवशाली
बने
और
युग
-
युगान्तरों
तक
इसकी
कीर्ति
रहे
,
इसके
लिए
बड़ा
आन्दोलन
खड़ा
किया।
350
वर्ष
पूर्व
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
द्वारा
जो
पुरुषार्थ
किया
गया
,
वैसा
ही
पुरुषार्थ
100
करोड़
सनातनधर्मियों
को
करना
है
,
उसके
लिए
पूज्य
स्वामी
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
छत्रपति
शिवाजी
का
चरित्र
श्रवण
करा
रहे
हैं।
पूज्य
आचार्य
बालकृष्ण
जी
महाराज
भारतीय
संस्कृति
व
परम्परा
के
ध्वजवाहक
,
महान
योद्धा
,
संस्कृति
के
संरक्षक
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
की
कथा
के
पावन
श्रवण
की
गंगा
पतंजलि
विश्वविद्यालय
से
प्रवाहित
हो
रही
है।
पूज्य
स्वामी
रामदेव
जी
महाराज
के
तप
,
पुरुषार्थ
और
शुभ
संकल्प
से
पतंजलि
के
रूप
में
यह
पवित्र
,
विशाल
एवं
दिव्य
-
भव्य
संस्थान
निर्मित
हुआ
है।
भारतीय
संस्कृति
के
गौरव
,
शास्त्र
पाठ
में
पारंगत
,
जिनके
हृदय
में
राष्ट्र
के
प्रति
विशेष
भावनाएँ
हैं
ऐसे
पूज्य
स्वामी
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
के
श्रीमुख
से
कथा
सुनना
स्वयं
में
दिव्यता
प्रदान
करता
है।
छत्रपति
शिवाजी
की
छवि
पूज्य
स्वामी
रामदेव
जी
महाराज
में
दिखाई
देती
है।
वे
हमारे
सुखद
भविष्य
के
लिए
कठिनाइयाँ
मोल
ले
लेते
हैं।
कभी
-
कभी
कुछ
लोगों
को
लगता
है
कि
स्वामी
जी
विवाद
क्यों
लेते
रहते
हैं।
स्वामी
जी
विवाद
नहीं
लेते
अपितु
कुछ
दुष्ट
आततायी
राक्षस
अलग
-
अलग
कालखण्डों
में
,
अलग
-
अलग
रूपों
में
हमारे
सामने
प्रकट
होते
हैं।
संत
वही
है
जो
आततायीयों
से
पूरे
देश
व
राष्ट्र
को
बचाने
के
लिए
स्वयं
सामने
आता
है।
श्रद्धेय
स्वामी
जी
अग्रणी
भूमिका
में
आकर
हमारी
रक्षा
के
दायित्व
का
निर्वहन
करते
हैं।
वो
सारे
घात
,
प्रतिघात
,
चोट
स्वयं
सहन
करते
हैं
जिससे
पूरा
देश
चैन
की
नींद
सो
सके
,
संस्कृति
और
संस्कृति
के
उदात्त
वैज्ञानिक
पहलुओं
का
लाभ
ले
करके
अपने
परिवार
व
समाज
को
आगे
बढ़ा
सके।
हम
सभी
शिवाजी
महाराज
व
पूज्य
स्वामी
जी
की
भांति
योद्धा
बनें
,
महापुरुषों
से
प्रेरणा
लेकर
उनके
जैसे
बनने
का
प्रयास
करें
और
यदि
उनके
जैसे
न
बन
पायें
तो
उनके
जीवन
से
प्रेरणा
लेकर
उनके
अनुगामी
बनें।
पूज्य
पांडुरंग
जी
महाराज
गोधर्म
प्रतिपालक
,
हिन्दु
धर्म
रक्षक
और
स्वराज्य
के
स्थापक
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
महाराष्ट्र
के
बड़े
देवत्व
हैं
तथा
संत
देवत्व
पूज्य
स्वामी
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
हैं।
शिवाजी
महाराज
ने
हिन्दु
धर्म
की
साधना
व
रक्षा
की
है।
महाराष्ट्र
की
भक्ति
और
शक्ति
दोनों
का
संगम
यहाँ
पर
कथा
के
रूप
में
दिखाई
व
सुनाई
पड़
रहा
है।
शिवाजी
महाराज
हिन्दवी
साम्राज्य
के
प्रणेता
थे
जिनका
पराक्रम
,
वीरता
व
राष्ट्रप्रेम
हम
सबको
राष्ट्रवाद
के
लिए
प्रेरित
करता
है।
पुणे
जिला
,
जुन्नर
तालुका
के
शिवनेरी
किले
में
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
का
जन्म
हुआ
है
,
वहीं
पास
में
ही
मेरा
भी
जन्म
स्थान
है।
मुझे
इस
बात
का
गर्व
है
कि
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
की
कथा
परम
श्रद्धेय
स्वामी
गोविन्द
देव
गिरि
जी
महाराज
के
श्रीमुख
से
पतंजलि
योगपीठ
,
हरिद्वार
में
हो
रही
है
,
जिसका
आयोजन
स्वामी
रामदेव
जी
महाराज
कर
रहे
हैं।
Tags:
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा में विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ
लेखक
योग संदेश विभाग
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