हरिद्वार, 2 फरवरी। यह रिसर्च जर्नल 100 वर्षों से भी अधिक स्थापित Biochemical Society, UK के अंतर्गत आता है, जो कि जैव विज्ञान तकनीकों को आगे बढ़ाने तथा सरकारी नीतियों से लेकर अकादमिक व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने में वैश्विक सकारात्मक भूमिका निभाती है।
आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि आयुर्वेद में त्वचा के सफेद दाग के लिए पहली बार इतना गहन अनुसन्धान हुआ है और इसका श्रेय पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को जाता है। इस अध्ययन में मेलानोग्रिट की चिकित्सकीय क्षमता का आंकलन किया गया और पाया कि मेलानोग्रिट त्वचा में सफेद दागों के फैलाव को बेअसर करता है, साथ ही क्च१६स्न१० कोशिकाएं, जो त्वचा में मेलेनिन का उत्पादन करती हैं, उनमें मेलेनिन की सतत वृद्धि करता है।
विज्ञान की भाषा में कहें तो मेलानोग्रिट, मेलानोजेनेसिस प्रक्रिया के निर्णायक जीन MITF, TYR और TRP1 की ट्रांसक्रिप्शनल रूप से वृद्धि करता है; जो कि बढ़ी हुई cellular tyrosinase गतिविधि द्वारा प्रतिबिंबित भी होता है। इन निष्कर्षों से यह पता चला है कि मेलानोग्रिट PERK को कम कर के MITF प्रोटीन स्तर (ट्रांसलेशनल लेवल) को भी बढ़ाता है।
आचार्य बालकृष्ण जी ने यह भी कहा कि जिस रोग का सही उपचार दुनिया की दूसरी चिकित्सा पद्धतियों में असंभव है, वह आयुर्वेद में संभव है। जहां पतंजलि पहले से ही श्वेत कुष्ठ रोग से पीडि़त हजारों रोगियों की चिकित्सा वर्षों से करता आ रहा है, वही अब वैज्ञानिक रूप से भी उसके cellular validation को UK और पूरी दुनिया ने स्वीकार कर लिया है।
यह पतंजलि के वैज्ञानिकों के पुरुषार्थ और आयुर्वेद के प्रति निरंतर अनुसन्धान का परिणाम है कि आज आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बज रहा है और जो रोग असाध्य माने जाते थे, उन रोगों का समाधान आज पतंजलि में समग्र रूप से कर पा रहे हैं।
यह सिर्फ पतंजलि की ही नहीं, भारत के असीमित ज्ञान, विज्ञान और अनुसन्धान की विजय पताका है, यह जीत है उस भारत की जो पुरातनकल से भी विश्वगुरु था, वर्तमान में भी विश्वगुरु है और आने वाले अनंत काल तक विश्वगुरु ही रहेगा।
इस अनुसंधान का संपूर्ण विवरण निम्नलिखित लिंक से प्राप्त किया जा सकता है।
ht t p s : / / p o r t l a ndpr e s s .com/ b i o s c i re p / a r t i c l e / 4 4 / 1 /
BSR20231324/233801/Melanogrit-potentiates-melanogenesis-byescalating
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/38054639/