विश्व धनिकों की सूची में आना नहीं है लक्ष्य, सेवा व परोपकार ही एकमात्र ध्येय
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आचार्य बालकृष्ण
1999 में डब्ल्यूएचओ ने वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया का कार्य प्रारंभ किया था। इसका उद्देश्य था कि विश्व में सभी बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम तथा हीलिंग प्रेक्टिसिज को एक जगह डॉक्यूमेंटेशन करके उसको वैश्विक स्तर पर लाया जाए। उन्होंने 2010 में उस काम को यह कहकर बंद कर दिया कि यह कार्य संभव नहीं है। हमें इस बात का भी गर्व है कि जिस कार्य को डब्ल्यूएचओ ने 2010 में असंभव बताकर बंद कर दिया था उसे पतंजलि ने 2023 में 109 वॉल्यूम में सामाहित कर पूर्ण किया। यह डॉक्यूमेंटेशन 1 लाख 25 हजार पृष्ठों के अंदर समाहित किया गया है जिसमें 6 लाख से ज्यादा रेफरेंस हैं, 24 लाख से ज्यादा वर्नेकूलर नेम हैं तथा दुनिया की सभी हीलिंग प्रेक्टिस इसमें समाहित हैं। यह असंभव कार्य पतंजलि ने करके दिखाया है। |
हम ऋषि पथ के अनुगामी
ऋषि, महर्षि तथा महर्षि धन्वंतरि के अवतार आदि सम्बोधनों से हमें कई बार सम्बोधित किया जाता है, इस पर हम कहेंगे कि हमने अपने जीवन में कभी ऋषि-महर्षि बनने का प्रयास नहीं किया, हम उनके तुल्य कभी भी नहीं हो सकते। एक प्रयास हम सदैव करते हैं कि हम सच्चे अर्थों में उनके अनुगामी बन सकें। पतंजलि का, श्रद्धेय स्वामी जी का व हमारा यही प्रयास है कि हम उन ऋषियों के पदचिन्हों पर चलकर, उनके अनुगामी बनकर समाज व राष्ट्र की सेवा कर सकें। हमने आज तक जो भी किया है, वह अनुगामी बनकर ही किया है और आगे भी सच्चे अनुगामी बन सकें इसके लिए हम पूरी ऊर्जा के साथ काम करेंगे।
पूरी दुनिया में 964 प्रकार की हीलिंग प्रेक्टिस, भारत में 4 प्रचलित
आयुर्वेद को ट्रेडिशनल बेस्ड मेडिसिन सिस्टम जिसे हम बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम कहते हैं प्राय: हमें ऐसा लगता कि देश व दुनिया में हम कहीं भी जाते हैं और जड़ी-बूटियाँ देखते हैं तो सोचते हैं यह आयुर्वेद ही है। किन्तु आयुर्वेद जड़ी-बूटी आश्रित चिकित्सा पद्धति में एक पद्धति है। हमने वैश्विक स्तर पर गहन रिसर्च किया है जिसमें हमने पाया कि पूरी दुनिया में यदि हम हीलिंग प्रेक्टिस की बात करें तो 964 प्रकार की चिकित्सा पद्धतियाँ हैं। और पूरी दुनिया में 9 चिकित्सा पद्धतियाँ ऐसी हैं जो बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम पर काम करती हैं। इन 9 पद्धतियों में से भारत में 4 चिकित्सा पद्धतियाँ प्रचलन में हैं जिनको हम आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी और स्वरम्पा के रूप में जानते हैं। इनमें भी आयुर्वेद सबसे प्राचीन है। हम आयुर्वेद की उस प्राचीनता को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने के लिए कार्य कर रहे हैं। लोग जड़ी-बूटियों को, जड़ी-बूटी चिकित्सा को तो जानते हैं किन्तु यह नहीं जानते कि जड़ी-बूटी चिकित्सा का आधार आयुर्वेद है। अभी पूरा विश्व आयुर्वेद को नहीं जान पाया है, उसको बताने का कार्य पतंजलि के माध्यम से किया जा रहा है। यह यात्रा एक स्तर तक पहुँच चुकी है, परन्तु अभी काम बाकि है जिस पर हम प्राणपण से लगे हैं। उसके लिए हमारे पास विश्वस्तरीय 500 वैज्ञानिक हैं, श्रद्धेय स्वामी जी के नेतृत्व में 5000 से ज्यादा वैद्य कार्य कर रहे हैं। आयुर्वेद की शिक्षा के रूप में हम विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक काम कर रहे हैं। आयुर्वेद का स्वरूप विश्वव्यापी बने, इसके लिए हमारा पूर्ण प्रयास है।
बड़े कार्य के लिए एक विजन, समर्पित टीम व अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ आवश्यक
बड़ा कार्य व्यक्ति कभी अकेला नहीं कर सकता। यह एक टीम वर्क है, हमारी पूरी टीम समर्पित, संवेदनशील तथा दूरदृष्टि वाली है। हम तो उस टीम का नेतृत्व करते हैं, उस टीम का एक पार्ट हैं। हमारे पास श्रद्धेय स्वामी जी की एक दृष्टि है, विजन है। जब किसी व्यक्ति के पास एक दृष्टि हो और उसे पूरा करने के लिए एक समर्पित टीम हो, तभी उस दृष्टि को धरातल पर उतारा जा सकता है। पतंजलि उसी का श्रेष्ठ उदाहरण है। स्वामी जी सदैव अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ करने के लिए बोलते हैं, वो मात्र बोलते नहीं, करते भी हैं। व्यापार, सेवा या कोई भी बड़ा कार्य करना है तो एक सोच के साथ यदि हम अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ करते रहें तो बड़े से बड़े कार्य का सम्पादन कर सकते हैं।
योग व आयुर्वेद एक-दूसरे के पूरक
परमात्मा का संयोग है कि हमें और श्रद्धेय स्वामी जी को एक विशेष कार्य के लिए निमित्त चुना। स्वामी जी आयुर्वेद के विषय में भी जानते हैं और हम योग को भी भली प्रकार जानते हैं लेकिन रूचि के अनुसार हमने एक-एक क्षेत्र का चयन किया और उसी ओर कार्य किया। भगवान की ऐसी व्यवस्था रही कि हमने योग से आयुर्वेद को खड़ा किया, और आयुर्वेद से योग को खड़ा किया। यदि अकेला योग होता तो आयुर्वेद इस स्तर पर न पहुँचता और यदि अकेला आयुर्वेद होता तो योग इस स्तर तक न पहुँच पाता। योग और आयुर्वेद को लोग आज एक-दूसरे के कारण जानते हैं।
बड़े कार्यों में बड़ी चुनौतियाँ संभव
हम तो गुरुकुलीय परम्परा के विद्यार्थी है और मैं तो आज भी अपने को एक विद्यार्थी मानता हूँ। हमारी प्रवृत्ति एक जिज्ञासु की प्रवृत्ति है। हमारा मानना है कि हम बड़ा बनने की न सोचें बल्कि बड़ा करने का विचार अपने भीतर जागृत करें क्योंकि जब हम बड़ा बनने की सोचेंगे तो गलत रास्तों का चयन कर सकते हैं। बड़ा करने की सोचेंगे तो दुनिया आपको स्वत: ही बड़ा बना देगी। इसी सिद्धांत पर हम आगे बढ़ते हैं। हमने पुरुषार्थ किया और लोगों ने हमें स्वीकार्यता दी। लोग यदि मानेंगे तो हम उदाहरण हैं, नहीं मानेंगे तो हम उदाहरण नहीं हैं।
यह सामान्य सी बात है कि यदि हम छोटा कार्य करते हैं तो हमारे सामने चुनौतियाँ भी छोटी होती हैं, बड़ा कार्य करते हैं तो चुनौतियाँ बड़ी होती हैं। जिस स्तर पर आप कार्य करेंगे उस स्तर पर ही आपके मित्र व शत्रु होंगे। लोग मिलते जाएँगे, बिछुड़ते भी जाएँगे परन्तु यदि हमारा रास्ता सही है, हमारा विचार सही है, हमारी गति सही है तो आप लक्ष्य तक पहुँच जाएँगे।
धनिकों की सूची में गणना होना हमारा लक्ष्य नहीं है
पतंजलि मानवहित व राष्ट्रहित में विश्वास रखती है। हाल ही में 2023 में अमीर व्यक्तियों की सूची में हमें 68वें स्थान पर रखा गया है किन्तु विश्व के धनिकों की सूची में गणना होना हमारा लक्ष्य नहीं है और हमारा उस धन से अपने जीवन में कोई प्रयोजन भी नहीं है। सभी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। हम अल्प साधनों के साथ जीवन निर्वहन करते हैं तथा जितना भी साधन है हम सेवा के लिए लगाते हैं। हमारा सम्पूर्ण जीवन, इतिहास, अतीत व वर्तमान सबके सामने है। सज्जनों के पास साधन होंगे तो समाज का सृजन होगा। दुर्जनों के पास साधन नहीं होना चाहिए, उससे समाज की हानि होती है। हमने सदैव पतंजलि के विविध उपक्रमों से अर्जित अर्थ को परमार्थ में लगाया है और सेवा के नए आयाम स्थापित किए हैं।
सर्वप्रथम पतंजलि ने आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित किया
आयुर्वेद को लेकर सदैव एक प्रश्न उठाया जाता रहा कि आयुर्वेद के एविडेंस नहीं हैं। आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन बनाने का काम आज भारत सरकार की तमाम संस्थाएँ कर रही हैं। हमें इस बात को कहते हुए गर्व की अनुभूति होती है कि विश्व में सर्वप्रथम आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित करने का कार्य पतंजलि ने किया है।
वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया एक कालजयी ग्रंथ
वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया एक कालजयी ग्रंथ है जिसका कार्य पतंजलि के माध्यम से सम्पन्न हुआ है। 1999 में डब्ल्यूएचओ ने वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया का कार्य प्रारंभ किया था। इसका उद्देश्य था कि विश्व में सभी बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम तथा हीलिंग प्रेक्टिसिज को एक जगह डॉक्यूमेंटेशन करके उसको वैश्विक स्तर पर लाया जाए। उन्होंने 2010 में उस काम को यह कहकर बंद कर दिया कि यह कार्य संभव नहीं है। हमें इस बात का भी गर्व है कि जिस कार्य को डब्ल्यूएचओ ने 2010 में असंभव बताकर बंद कर दिया था उसे पतंजलि ने 2023 में 109 वॉल्यूम में सामाहित कर पूर्ण किया। यह डॉक्यूमेंटेशन 1 लाख 25 हजार पृष्ठों के अंदर समाहित किया गया है जिसमें 6 लाख से ज्यादा रेफरेंस हैं, 24 लाख से ज्यादा वर्नेकूलर नेम हैं तथा दुनिया की सभी हीलिंग प्रेक्टिस इसमें समाहित हैं। यह असंभव कार्य पतंजलि ने करके दिखाया है।
दुनिया ने माना पतंजलि के अनुसंधान का लोहा
जहाँ बॉटनी की बात आती है तो लंदन में ‘रॉयल बॉटनिकल गार्डन (क्यू गार्डन)’ है जो लगभग ३०० साल पुरानी संस्था है। उस संस्था की वैबसाइट केअनुसार उनके द्वारा जो कार्य किया गया था तथा उनकी लिस्ट में जिन प्लांट्स को सूचीबद्ध किया गया था उनको करेक्ट करने का काम हमारे वैज्ञानिक करते हैं और रेफरेंस के साथ उनको वहाँ देना पड़ता है, यह पतंजलि का बहुत बड़ा प्रमाण है कि हम क्या कार्य कर रहे हैं।
इसी तरह हम जितने भी हर्बेरियम और नोमेनक्लेचर के ऊपर हम जो काम कर रहे हैं उनको न्यूयार्क बॉटनिकल गार्डन जैसी संस्था को एक्रीडेशन करना पड़ता है।
आयुर्वेद पर पहली बार व्यापक स्तर पर अनुसंधान
कई लोगों को लगता है कि पंतजलि का काम दवाई बनाने तथा योग करने तक ही सीमित है। लेकिन पतंजलि की विविध गतिविधियों में आयुर्वेद पर अनुसंधान प्रमुख है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान की विश्वस्तरीय एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब्स में 500 से ज्यादा अनुभवी वैज्ञानिक आयुर्वेदिक औषधियों पर अनुसंधान कर रहे हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर इन-वीवो, इन-विट्रो ट्रॉयल करना, सी-एलिगेंस से लेकर जैबरा फिश के मॉडल पर काम करके ट्रॉयल करना, यह कार्य भी विश्व में पहली बार पतंजलि ही कर रहा है। इस प्रकार कई सारे काम एक साथ निरंतर चलते रहते हैं जिनके विषय में दुनिया को पता नहीं होता है, लेकिन जब एक-एक कर परिणाम सामने आते हैं तब पता चलता है कि कितना कार्य किया जा रहा है। बहुत सारा काम अभी दुनिया को दिख रहा है लेकिन उससे भी ज्यादा कार्य ऐसा है जो दुनिया देख नहीं पा रही है, उसे भगवान की कृपा से हम दुनिया को दिखाएँगे क्योंकि काम बहुत तेजी से, पूरी प्रामाणिकता के साथ पतंजलि कर रहा है।
योग-आयुर्वेद की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठापना
हमारा लक्ष्य ऋषि-महर्षियों की परंपराओं पर आधारित विधाओं योग-आयुर्वेद आदि को वैश्विक स्तर पर पहुँचाना, उसके द्वारा लोगों के जीवन स्तर को सुधारना, उनके लिए रोजगार के साधन पैदा करना है। हमको यह सकून नहीं देता कि धनिकों की सूची में हमारा नाम है या नहीं, हमको तब संतुष्टि मिलती है जब हमको यह लगता है कि भगवान ने हमको निमित्त बना करके, श्रद्धेय स्वामी जी को निमित्त बनाया जिसके कारण आज लाखों-लाखों लोगों के चूल्हे पतंजलि के कारण जल रहे हैं, उनके चेहरों की मुस्कुराहट के पीछे पतंजलि है। यह जानकर हमें प्रसन्नता होती है।
उत्तराखण्ड में हैं अपार सम्भावनाएं
उत्तराखण्ड को दुनिया का आयुर्वेद मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि है, ऋषि भूमि है, यहाँ की आबोहवा स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। उत्तराखण्ड आप आते हैं तो वह आपकी बुद्धिमत्ता है। सभी को उत्तराखण्ड आना चाहिए तथा किसी न किसी रूप में जुडऩा चाहिए। यहाँ आकर देवों का दर्शन कीजिए, अभी माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कुछ और नहीं तो ब्याह-शादी करने ही उत्तराखण्ड आ जाओ, क्योंकि उत्तराखण्ड में हमारे देवी-देवताओं की किवदंतियाँ, मान्यताएँ, हमारे ऐतिहासिक व पौराणिक साक्ष्य और तथ्य हैं, जैसे- त्रियुगी नारायण में स्वयं भगवान शंकर का विवाह हुआ था। ऐसी जगह यदि आपको घर बसाने का अवसर मिले तो आप रोग, शोक से बच जाएँगे। आने वाली संतानें संस्कारवान होंगी, तलाक के केस कम होंगे। इस पर भी रिसर्च होनी चाहिए कि उत्तराखण्ड में हिमालय पर होने वाली शादियाँ अन्य स्थानों पर होने वाली शादियों की अपेक्षा कितनी टिकती हैं।
उत्तराखण्ड में पतंजलि का निवेश व रोजगार सृजन
अभी हाल ही में इंटरनेशनल समिट से पहले पूरे उत्तराखण्ड में कुल निवेश 18,000 करोड़ का था जिसमें 10 प्रतिशत केवल पतंजलि का निवेश है। और रोजगार की दृष्टि से देखें तो पूरे उत्तराखण्ड में 8 प्रतिशत योगदान पतंजलि का है। उत्तराखण्ड में आज दुनिया का सबसे बड़ा योग-आयुर्वेद का सेंटर पतंजलि का है, दुनिया का सबसे बड़ा वैलनेस का सेंटर भी पतंजलि का है और आयुर्वेद का सबसे बड़ा अनुसंधान केन्द्र भी पतंजलि के पास है। जब भारत सरकार पहली बार मेगा फूड पार्क का कॉन्सेप्ट लेकर आई थी तो उसमें पतंजलि का चयन किया उसके लिए मैं तत्कालीन सरकार का धन्यवाद करता हूँ। आज हम सगर्व कह सकते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा फूड पार्क पतंजलि के पास है।
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