शाश्वत प्रज्ञा
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
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-स्वामी रामदेव
रामराज्य की प्रतिष्ठा हेतु पंच क्रांतियों का शंखनाद
आजादी के अमृत महोत्सव में हमें पूर्ण स्वतंत्रता की साधना करनी चाहिये। यही हम सबका कर्तव्य है। राजनैतिक स्वाधीनता तो 77 वर्ष पहले मिल गई थी। किंतु अभी भी हम शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक व सांस्कृतिक रूप से परतंत्र हैं। शायद पूरी दुनिया में 1% लोग ऐसे होंगे जो शिक्षित होंगे, 1% लोगों को चिकित्सा मिलती होगी, 1% लोगों को समृद्धि मिलती होगी, 1% लोग ही वैचारिक व सांस्कृतिक रूप से स्वतंत्र होंगे और 1% लोग पूर्णत: रोग, नशा, अश्लीलता व व्यभिचार से मुक्त होंगे। अभी भी 5 प्रकार की गुलामियों से मुक्ति बाकी है। ये हैं-
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शिक्षा क्षेत्र में गुलामी से मुक्ति।
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चिकित्सा क्षेत्र में गुलामी से मुक्ति।
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आर्थिक क्षेत्र में गुलामी से मुक्ति।
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वैचारिक व सांस्कृतिक गुलामी से मुक्ति।
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रोग, नशा, अश्लीलता से मुक्ति।