दिल्ली के युवक ने छह महीने तक लगातार खाया पाउडर, अब पैरों पर खड़ा होना भी मुश्किल
बॉडी बनाने के लिए खाया पाउडर, खत्म हो गए कूल्हे
बॉडी बनाने के लिए बाजार से लिया पाउडर एक शख्स के कूल्हे खा गया। अब वह एम्स में भर्ती है और उसके दोनों कूल्हे बदलने पड़ेगें। दिल्ली में रहने वाले ३२ वर्षीय नवीन (परिवर्तित नाम) ग्रेटर कैलाश स्थित एक सोसायटी में सुरक्षा गार्ड का काम करते हैं। वह जिम भी जाते थे। यहां कुछ लोगों ने शरीर बनाने के लिए उन्हें एक पाउडर लेने की सलाह दी।
बकौल नवीन, उन्हें बॉडी बनाने की जल्दी थी इसलिए उन्होंने पाउडर खाना शुरू कर दिया। उन्होंने छह महीने तक पाउडर को सेवन किया। कुछ ही दिनों बाद उनके कूल्हे में दर्द रहने लगा।
इस बीच नवीन ने जिम जाना थोड़ा कम कर दिया, लेकिन वह पाउडर लेता रहा। दर्द बढऩे पर देशी इलाज कराते रहे। मगर दो साल बाद उनकी हालत इस कदर खराब हो गई कि वो थोड़ी देर भी खड़ा नहीं रह पाते थे। नवीन पिछले सप्ताह एम्स पहुँचे तो वहां बीमारी का खुलासा हुआ।
एवैस्कुलर नेकरोसिस से पीडि़त हो गया गार्ड
एम्स में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अरूण कुमार पाण्डे ने बताया कि जब नवीन हमारे पास एक्सरें लेकर आये तो उनके कूल्हे बुरी तरह से खराब हो चुके थे। हमनें उनकी जांचे कराई तो पता चला कि वे एवैस्कुलर नेकरोसिस से पीडि़त हो गए है। इस बीमारी की वजह से हड्डियां घिसने लगती हैं और अंतत: खत्म होने के कगार पर पहुंच जाती है।
स्टेरॉइड के सेवन से हुई परेशानी
डॉक्टर अरूण पाण्डेय ने बताया कि इतनी कम उम्र में युवक की इस हालत को देखकर वे चकित थे। उन्होंने पता लगाया कि मरीज को कभी चोट तो नहीं लगी या फिर उनके परिवार में किसी को इस तरह की कोई बीमारी तो नहीं है। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं था। हालाकि, जब मरीज ने बताया कि वे लंबे समय से शरीर बनाने के लिए बाजार में बिकने वाला पाउडर खा रहे हैतो वे समझ गए कि माजरा क्या हैं।
जानवरों की दवाएं भी लेते हैं युवा
युवा कम बॉडी फैट के साथ मसक्युलर बॉडी बनाने के लिए ऐसी दवाएं भी यूज करने में गुरेज नहीं कर रहे जो जानवरों के लिए बनी हैं। इस तरह की एक दवा है क्लीनब्यूट्रोल जिसे क्लीन व क्लेन के नाम से पुकारा जाता है। इसे इसलिए बनाया गया ताकि जानवरों में फैट कम हो गोश्त ज्यादा। कई मुल्कों में बैन होने के बावजूद ब्लैक मार्केट में यह दवा उपलब्ध हैं।
आमतौर पर प्रयोग होने वाली दवाएं और नुकसान
टी3 इंजेक्शन: पूरी तरह से नपुंसक, औरतों जैसी छाती, भयंकर गुस्सा।
टेस्टोसटंरोन इंजेक्शन: गुस्सा, मुहांसे, नपुंसकता, बाल झडऩा।
डेनाबोल, टेबलेट: लीवर पर बहुत बुरा असर।
क्लीन, टेबलेट: दिल का दौरा पड़ सकता है।
जीएचआरपी 6, इंजेक्शन: लीवर का बड़ा होना, भयंकर गुस्सा।
डेक्सोना, टेबलेट: लीवर, आँखो और दिल पर असर।
एमएमपी, इंजेक्शन: आदत पड़ जाती है छोडऩे पर भयंकर कमजोरी महसूस होती है।
इस बात का अंदेशा है कि मरीज ने जो पाउडर खाया उसमें स्टेरॉइड मिला हुआ था। जो लोग काफी लंबे समय से ज्यादा मात्रा में स्टेरॉइड का इस्तेमाल करते हैं उन्हें यह बीमारी होने की आंशका अधिक होती है।
डॉक्टर अरुण पांडे, एम्स
बाजार में नकली और भ्रमित करने वाले उत्पाद की भरमार है। कई बार लोग जल्दी शरीर बनाने के लिए बिना किसी की सलाह के फूड सप्लीमेंट लेना शुरु कर देते हैं।
जुगल धवन, जिम टे्रनर व अंतराष्ट्रीय पदक विजेता
साभार : हिन्दुस्तान
https://www.livehindustan.com/national/story-caution-to-buildbody-eat-powder-now-buttocks-dead-2640286.html
ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने साढ़े तीन लाख लोगों पर किया अध्ययन
लिवर कैंसर से बचना है तो वजन काबू में रखें
बीएमआई बढऩे से लिवर कैंसर का खतरा 13 प्रतिशत बढ़ जाता है
महिलाओं की तुलना में पुरुष इसके सबसे ज्यादा जोखिम में
अगर आप मोटे है तो आपका वजन आपके कद के अनुरूप बहुत ज्यादा है तो आप एक नहीं कई गंभीर बीमारियों के जोखिम में है। एक नये अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वजन बढऩे से पाचन तंत्र की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मध्यम आयु वर्ग में लिवर कैंसर हो सकता है।
अध्ययन के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के लिए पेट या यकृत में ट्यूमर के विकास का खतरा १३ प्रतिशत बढ़ सकता है। वहीं भोजन नली का कैंसर और अग्राशय के कैंसर की आंशका भी क्रमश: १० और ६ प्रतिशत बढ़ जाती है।
यूके बायोबैंक से प्राप्त किया गया डाटा:
ब्रिटिश और स्वीडिश शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में उन्होंने यूके बायोबैंक डाटाबेस से प्राप्त किए गए ३,५०,००० से अधिक लोगों के डाटा का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि वजन का बढऩा कैंसर के जोखिम से जुड़ा हुआ था। वहीं एक अन्य अध्ययन के मुताबिक आपके बॉडी इंडेक्स मॉस में हुई प्रत्येक पांच किलोग्राम प्रति वर्गमीटर की बढ़ोत्तरी से पुरुषों में लिवर कैंसर होने का खतरा ३८ फीसदी, जबकि महिलाओं में २५ फीसदी बढ़ जाता है।
दुनियां की दो-तिहाई आबादी मोटापे से परेशान
इसमें कोई शक नहीं कि मोटापा लाइफस्टाइल से जुड़ी एक तरह की बीमारी है जिसकी वजह से शरीर में कई तरह की बीमारियां और हो जाती है, जिसमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल है। यह स्टडी और रिसर्च एक ऐसे समय पर आई जब दुनियां की करीब-करीब दो तिहाई आबादी मोटापे की समस्या से जूझ रही है जिसमें वयस्कों के साथ-साथ बच्चों मेें भी मोटापे का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
क्या वजन कम करने से नहीं होगा कैंसर
कैंसर का खतरा कई दूसरी चीजों पर भी निर्भर करता है जिसमें वातावरण से जुड़े फैक्टर अहम होते हैं। साथ ही तम्बाकू और केमिकली प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट के सेवन से भी कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, लेकिन मोटापा, लाइफस्टाइल से जुड़ी एक अहम समस्या है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। लिहाजा वजन कम करना महज इसलिए जरुरी नहीं कि ताकि आप अच्छे दिखें और अच्छे कपड़े पहन सकें, बल्कि इसके बढऩे का संबंध आपकी सेहत से भी है।
नए उपचार ने उम्मीद जगाई
वैज्ञानिकों द्वारा वजन घटाने वाला एक नया उपचार खोजा गया है। इस उपचार ने चूहों का पसीना निकाला और वसा को कम कर दिया। वैज्ञानिकों का कहना है कि मोटापे से निपटने के लिए इसका इस्तेमाल मनुष्यों पर भी किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिरक्षा प्रणाली को लक्षित करके पेट की चर्बी को कम करना संभव है। उन्होंने साइटोकाइन थाइमिक स्ट्रोमल लिम्फोपोइटिन (टीएसएलपी) के साथ चूहों का इलाज करने के बाद खोज की। यह एक प्रकार क प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन है, जिसके कारण वसा और वजन कम हुआ।
साभार : हिन्दुस्तान
https://www.livehindustan.com/lifestyle/story-side-effectsof-obesity-increased-weight-may-invite-risk-of-liver-cancerstudy-
warns-4274844.html