पतंजलि गुरुकुलम् शिलान्यास समारोह में मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी का उद्बोधन
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महर्षि दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर तथा आचार्यकुलम् के शिलान्यास कार्यक्रम में माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश श्री मोहन यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने कार्यक्रम में भावपूर्ण उद्बोधन देते हुए कहा कि-
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारवती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:।।
मेरा सौभाग्य है कि मोक्षदायिनी पवित्र सात नगरियों में एक अवंतिका की गोद में जन्मा, बाबा महाकाल ने अपनी सेवा के लिए मुझे अपना सेवक चुना और अब मोक्षदायिनी मायापुरी नगरी ने अपने दर्शन के लिए बुलाया है।
स्वर्गद्वारेण यत् तुल्यं गंगाद्वारं न संशय:।
तत्राभिषेकं कुर्वीत कोटितीर्थें समाहित:।।
श्री ये बाबा महाकाल की कृपा है कि मैं भगवान विष्णु के द्वार पहुँचा हूँ। मां क्षिप्रा का बेटा दोनों हाथ जोडक़र हरिद्वार और मोक्षदायिनी मात गंगा को प्रणाम करता है। जहाँ बाबा केदार, बाबा बद्रीनाथ निवास करते हैं, जिस धरती से मां गंगा और मां यमुना ने मृत्युलोक में आना स्वीकार किया हो, उस उत्तराखण्ड की पावन धरा को भी नमन करता हूँ।
इस कार्यक्रम में पधारे भारत के माननीय रक्षा मंत्री, जिनके हाथों मे देश की सीमाएं सुरक्षित हैं और सेनाएं हौसले से भरी हैं, ऐसे श्री राजनाथ सिंह जी का हार्दिक अभिनंदन, केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी और विद्वान सांसद श्री सुधांशु त्रिवेदी जी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन। वर्तमान पीढ़ी को योग के वरदान से परिचित कराने वाले योग गुरु स्वामी रामदेव का हार्दिक अभिनंदन करते हुए इस कार्यक्रम में निमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ। यहाँ पधारे सभी संतगणों के चरणों में प्रणाम अर्पित करता हूँ।
हमारी सनातन संस्कृति गुरु और गुरुकुल दोनों की महिमा बताती है। त्रेतायुग में भगवान् श्रीराम, तो द्वापर में भगवान् श्रीकृष्ण ने गुरुकुल में ही अपने जीवन का प्रारंभिक ज्ञान प्राप्त किया। मध्य प्रदेश का सौभाग्य है कि उज्जैन में गुरु संदीपनी के आश्रम में भगवान् श्रीकृष्ण आए और शिक्षा ग्रहण की और उसी धरती से मैं आज गुरुकुलम् के शिलान्यास के लिए आया हूँ।
आज का दिन बड़ा ही पावन है। आज महर्षि दयानंद सरस्वती की २००वीं जयंती है। गुरुकुल के संस्थापक पूज्य स्वामी दर्शनानन्द महाराज जी की भी आज ही जंयती है और इस शुभ अवसर पर पतंजलि गुरुकुलम् का शिलान्यास हो रहा है।
काकचेष्टा बकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च।
अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्।।
विद्यार्थी जीवन के ये पांच लक्षण अगर मनुष्य ने कहीं ग्रहण किए, तो वह गुरुकुलम् में ही संभव हुए। गुरुकुल पठन-पाठन ही नहीं अनुशासन एवं मनुष्य बनने का भी केन्द्र है। गुरुकुल ने ही रघुकुल नंदन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, तो कान्हा को गीता का ज्ञान देने वाला भगवान श्रीकृष्ण बनाया।
हरिद्वार की पवित्र धरती भारतीय संस्कृति और सनातन परम्परा की संवाहक रही है। पतंजलि संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ है। आज गुरुकुलम् का शिलान्यास इस बात को प्रमाणित कर रहा है। योग, आयुर्वेद और अध्यात्म के रूप में हरिद्वार ने हमारे तन, मन और जीवन को स्वस्थ रखने वाले उपहार दिए हैं।
योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैद्यकेन।
योऽपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोअस्मि।।
योग शास्त्र से मन की, व्याकरण शास्त्र से वाणी की और वैद्यक शास्त्र से तन की अशुद्धि नष्ट करने वाले महर्षि पतंजलि को नमन करता हूँ।
महर्षि पतंजलि ने विश्व को योग के रूप में वरदान दिया है। उसी परम्परा को आगे बढ़ाया है पूज्य स्वामी रामदेव जी ने। आज की पीढ़ी योग की प्राचीन परम्परा योगगुरु स्वामी रामदेव जी को देखकर ही जी रही है। योग के रूप में जो उपहार महर्षि पतंजलि हमें देकर गए हैं, उसका सही मायने में संरक्षण और संवर्धन बाबा रामदेव ने किया है। आपने योग को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए योग क्रांन्ति शुरू करने का जो योगदान आपने दिया है, उसका जितना धन्यवाद कहा जाए, उतना कम है।
दुनियां ने कोरोना महामारी के दौरान योग की महत्ता को जाना है। अलग-अलग देशों से प्राणायाम, योगासन की तस्वीरें हमने देखी, लेकिन दुनियां योग से परिचित कराने का श्रेय जाता है हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी। वर्ष 2014 में सरकार बनने के 01 साल के भीतर ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से सहमति मिली और दुनियां ने 21 जून 2015 को पहला अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। ये माननीय श्री मोदी जी के अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया है।
योग हमारी चेतना का जागरण है, हमारे तन को ही नहीं मन को भी स्वस्थ करता है और जब तन-मन स्वस्थ हों, तो जीवन का पहिया बिना थके, बिना रोग के चलता है।
मुझे ये जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि इस गुरुकुलम् में आधुनिक विषयों के साथ सनातन वैदिक परम्परा के परिचायक वेद, दर्शन, उपनिषद्, श्रीमद्भगवतगीता, पंचोपदेश आदि के अध्ययन की व्यवस्था होगी। यहाँ पांच भाषाओं की पढ़ाई भी कराई जायेगी। यहाँ ५ हजार विद्यार्थी अपनी जड़ों से जुडक़र भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
मैं आशा करता हूँ कि ये गुरुकुलम् शिक्षा की क्रांति का बड़ा केन्द्र बने। इस भूमि से शिक्षा के क्षेत्र का नया इतिहास लिखा जाएगा। नई शिक्षा नीति के माध्यम से नए भारत का जो सपना माननीय प्रधानमंत्री जी देख रहे हैं, उसकी पूर्ति के लिए ये गुरुकुलम् महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमें देश में ऐसे ही और गुरुकुलम् की आश्यकता है, जो हमारी संस्कृति का संरक्षण करें और आने वाली पीढिय़ों को ये बताएं कि ध्यान, ज्ञान और विज्ञान तीनों हमारी परम्परा का हिस्सा रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से नए भारत का सपना देखा है। नई शिक्षा नीति में बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास पर जोर दिया गया है। खेलकूद, योग को अभिन्न अंग माना गया है। मातृभाषा में पढ़ाई की बात कही गई है। नई शिक्षा नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास की बात करती है और गुरुकुल की शिक्षा पद्धति में ये सभी चीजें समाहित हैं।
मध्यप्रदेश भी नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अग्रणी है। प्रदेश में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत हर जिले में एक-एक ऐसा कॉलेज खोला जाएगा, जहाँ विद्यार्थियों के लिए सभी कोर्स उपलब्ध होंगे। राज्य में सीएम राइज स्कूल, पीएम श्री स्कूल और पीएम उत्कृष्ट महाविद्यालय शिक्षा का स्वर्णिम त्रिभुज बन रहे हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने संस्कृत भाषा और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के संरक्षण एवं प्रसार हेतु महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की है। प्रदेश में 5 आदर्श संस्कृत विद्यालय संचालित हैं।
संस्कृत विद्यालयों के लिए पिप्लाद योजना के अन्तर्गत संस्कृत विद्यालयों एवं छात्रों के लिये कक्षा १ से ५ तक के लिये 8000 रुपये प्रति छात्र एवं कक्षा ६ से 12 के लिये 10 हजार रुपये प्रति छात्र प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है।
मध्य प्रदेश में एलकेजी से ही संस्कृत भाषा की शिक्षा देने का निर्णय लिया गया। योग को लोगों के दैनिक जीवन का अंग बनाने के लिए राज्य में योग आयोग का गठन किया गया है।
यहाँ मैं माननीय रक्षामंत्री जी का भी धन्यवाद देना चाहता हूँ। जिस तरह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत विश्व का ताकतवर देश बनकर उभरा है, उसी प्रकार आपके कुशल मार्गदर्शन में भारत की सीमाएं सुरक्षित है और सेनाएं हिम्मत से भरी हैं। आपने भिंड और मंदसौर में दो सैनिक स्कूल स्वीकृत कर मध्यप्रदेश के बच्चों को देशसेवा का जो अवसर प्रदान किया है, उसके लिए मैं आपका धन्यवाद देता हूँ।
अंत में मैं यही कहना चाहता हूँ कि ये गुरुकुलम् भारत में शिक्षा का नया मील का पत्थर बने। यहाँ सुबह वेदों का ज्ञान से हो, तो शाम कम्प्यूटर के फॉर्मूले से। यहाँ से निकलने वाले छात्रों के प्रतिभा का लोहा दुनियां माने। वे एक तरफ हमारे ग्रंथों को उठाए देश का गौरव बनें, तो दूसरी तरफ अपने आधुनिक ज्ञान से दुनियां को चकित करें।
एक बार पुन: इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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