वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया औषधीय चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर
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आचार्य बालकृष्ण
वनस्पति सम्पदा स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के सार्वभौमिक प्रतीक के रूप में विद्यमान है, जो विश्व के लोगों को संतुष्टि एवं सुख प्रदान करती है। बचपन से ही मैंने अपने को प्रकृति के अधिक सन्निकट पाया। प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम के कारण मैं धरती पर मौजूद पेड़-पौधों विशेषकर औषधीय पौधों के चिकित्सीय गुणों के प्रति अधिक आकर्षित हुआ और उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करने लगा। इसके लिए मैंने अनेक ग्रंथों, निघंटुओं, संहिताओं आदि का गहन अध्ययन करना प्रारम्भ किया और पाया कि औषधीय पौधों में कई ऐसे गुण पाये जाते हैं जिनसे बहुत सी छोटी-बड़ी बीमारियाँ ठीक की जा सकती हैं। इसके उपरान्त मैंने व्यावहारिक जीवन में औषधीय पौधों का उपयोग विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए करना शुरू किया। इसी बीच मैंने वनस्पति विज्ञान और जड़ी-बूटियों से सम्बन्धित बहुत सी मूलभूत जानकारियाँ हासिल की। जैसे-जैसे मैं वनस्पति विज्ञान और प्रकृति के अध्ययन में गहराई से उतरता गया, मुझे इन अमूल्य संसाधनों के संरक्षण और प्रलेखों की आवश्यकता के विषय में पता चला। मुझे यह भी पता चला कि समूचे विश्व में औषधीय पौधों की बहुलता होने पर भी अभी तक कोई विस्तृत डेटाबेस या सूची उपलब्ध नहीं है। इससे सम्बन्धित जो भी संसाधन अभी तक उपलब्ध हैं या तो वे विच्छिन्न हैं, अपूर्ण हैं या फिर मात्र कल्पनाओं पर आधारित हैं, जिसके कारण विश्व की वानस्पतिक संपदा को जानने में अत्यधिक अन्तर आ गया। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मैंने विश्व के प्रत्येक कोने से औषधीय पौधों की एक विस्तृत सूची संकलित करने के लक्ष्य पर कार्य प्रारम्भ किया।
मैंने पतंजलि रिसर्च फाउन्डेशन के वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ मिलकर धरती पर पाये जाने वाले औषधीय पौधों को सूचीबद्ध करने और उनसे सम्बन्धित प्रलेखों को तैयार करना आरम्भ कर दिया। हमने सतत् अनुसन्धान और प्रयास से उपयोगी 9,50,000 औषधीय पौधों की पहचान की और उन्हें सूचीबद्ध किया। आज हमारे प्रयासों के परिणामों को वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया (डब्ल्यूएचई) के रूप में देखते हुए मैं रोमांचित हूँ। हम सभी के वर्षों का प्रयास फलीभूत हुआ। यह महान उपलब्धि औषधीय चिकित्सा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी, जो शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और उत्साही लोगों को किसी अन्य स्रोत की तुलना में अति महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके पृष्ठों में सहस्राब्दियों का सामूहिक ज्ञान निहित है, जो हजारों औषधीय पादपों के पारंपरिक उपयोग, वानस्पतिक लक्षणों और भेषज गुणों की सूक्ष्म जानकारी प्रदान करता है।
डब्ल्यूएचई केवल डेटा का संकलन ही नहीं है अपितु यह सहयोग की शक्ति और मानव प्रयास की असीमित क्षमता का प्रमाण है। विविध संस्कृतियों और विषयों से प्राप्त ज्ञान को एक साथ लाकर हमने इस जानकारी के भंडार को बनाया है जो आने वाली पीढिय़ों के लिए ज्ञान के प्रतीक के रूप में कार्य करेगा।
डब्ल्यूएचई की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं
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यह विश्वकोश 111 खंडों में प्रकाशित किया गया है, जिनमें से इसके प्रत्येक खण्ड में विश्व में पाये जाने वाले विविध औषधीय पौधों का वर्णन वर्णक्रमानुसार दिया गया है।
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इसमें विश्व के 9,50,000 औषधीय पौधों के विषय में जानकारी प्रदान की गयी है।
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पारंपरिक उपयोगकर्ताओं के परिप्रेक्ष्य में इन पौधों के परंपरागत उपयोग से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों तक के विवरण को इसमें विस्तृत रूप से समझाया गया है। यह अद्वितीय कार्य प्राचीनकाल से अब तक के ज्ञात सामान्य से असाध्य बीमारियों के लिए एक प्रभावशाली और उचित उपचारात्मक पद्धति को दर्शाता है।
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इसमें भारत में उपलब्ध 9,15,000 औषधीय पौधों को संगृहीत किया गया है।
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इस विश्वकोश में विश्व के विभिन्न समुदायों या जातियों में प्रचलित 99 औषधीय प्रणालियों और 9,964 उपचार पद्धतियों के इतिहास का वर्णन है।
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इसमें विश्व में बोली जाने वाली लगभग 9,2,000 भाषाओं में दुनिया के 9,50,000 औषधीय पौधों के 912 लाख स्थानीय नाम और उनके विभिन्न पर्यायवाची नाम (लगभग 2,50,000) दिये गये हैं।
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औषधीय पौधों से सम्बन्धित जानकारी को 96 लाख ग्रंथ सूची के स्रोतों (वेबसाइट्स, पुस्तकों, रिसर्च पेपर्स आदि) से लिया गया है, जिनमें से 94.50 लाख को विशिष्ट संदर्भ कोड दिए गए हैं।
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इसी तरह यह 92.50 लाख पादप-सम्बन्धी पारंपरिक अनुप्रयोगों और 200 ईसा पूर्व पुरानी मूल पांडुलिपियों में वर्णित प्रामाणिक जानकारी से परिपूर्ण है।
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इस विश्वकोश में विभिन्न देशों की 9,2,000 जनजातियों से प्राप्त मूल औषधीय ज्ञान को दिया गया है।
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यह अपनी तरह का विश्व में पहला विश्वकोश है जिसमें दुनिया के लगभग 50,000 औषधीय पौधों को उनके कुल से वंश और प्रजाति स्तर तक पूर्ण नवीन रूप में संस्कृत नामकरण (द्विपद स्वरूप में) किया गया है, जो वैज्ञानिक शब्दों में नामकरण की उत्पत्ति के आधार का वर्णन करता है।
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यहाँ विभिन्न कुल और वंश के नामों की उत्पत्ति का विशद रूप से वर्णन है। इसके अलावा इसमें औषधीय पौधों के बाह्य लक्षणों (आकारिकी), प्रयोगात्मक भेषज गुण-संबंधी अध्ययन, रासायनिक संघटक, पौधों के औषधीय गुण, विषाक्त प्रभाव और विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में उनके लोकप्रिय परंपरागत उपयोग के साथ-साथ विभिन्न औषधीय उपयोग शामिल हैं।
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यह औषधीय जड़ी-बूटियों पर आधारित एक मात्र प्रलेख है, जिसमें एल्गी (शैवाल), फंजाई (कवक), लाइकेन, ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म सहित वनस्पति जगत के सभी समूहों के पौधों के 9,7,500 वंशों का वर्णन किया गया है।
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जानकारी के इस अथाह भंडार में लगभग 9,35,000 औषधीय पौधों की कैनवास पेंटिंग और 9,30,000 रेखाचित्र हैं। यह अपने आप में एक अद्भुत प्रयास है क्योंकि बहुत कम हर्बल कृतियों में औषधीय पौधों की पेंटिंग को पहचान का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है।
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इनके अतिरिक्त विभिन्न महाद्वीपों की पारंपरिक चिकित्सीय पद्धतियों के इतिहास और वर्तमान युग में पारंपरिक चिकित्सा में उनकी स्थिति का भी स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है।