पतंजलि भारत की स्वतंत्रता के मूल्यों व आदर्शों का प्रतीक राष्ट्रधर्म, राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रहित सर्वोपरि

पतंजलि भारत की स्वतंत्रता के मूल्यों व आदर्शों का प्रतीक राष्ट्रधर्म, राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रहित सर्वोपरि

     आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी में देश स्वतंत्रता के 77वें वर्ष का उत्सव मना रहा है। इस स्वतंत्रता दिवस पर पतंजलि ने देश की आर्थिक आजादी, शिक्षा की आजादी, चिकित्सा की आजादी सांस्कृतिक आजादी का संकल्प लिया है। पतंजलि योग धर्म, राष्ट्र धर्म, ऋषि धर्म, वेद धर्म, सनातन धर्म, सेवा धर्म, स्वदेशी धर्म आत्मनिर्भरता का महातीर्थ है। पतंजलि का अनुष्ठान चार प्रमुख तत्व- आर्थिक आजादी, शिक्षा की आजादी, चिकित्सा की आजादी और सांस्कृतिक आजादी को लेकर गतिमान है। पतंजलि के स्वदेशी अभियान से आर्थिक आजादी की जंग अभी पूरी नहीं हुई है। ईस्ट इण्डिया कम्पनी से लेकर अकेले ब्रिटिशर्स ने एक हजार लाख करोड़ से ज्यादा की लूट की थी, बाकी लूट तो अलग हैं और वो आर्थिक लूट, गुलामी, षड्यंत्र अभी भी जारी हैं। मैकाले की शिक्षा अभी भी जारी है। एलोपैथी चिकित्सा की गुलामी और अपने वेद धर्म, ऋषि धर्म से विमुख होकर के हम अपने गौरव-गुमान को भूले बैठे हैं। वेद धर्म-सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हमें सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त होकर वेदों की ओर लौटना होगा।

शिक्षा की आजादी

धूर्त मैकाले ने षड्यंत्र करके भारत के गौरवशाली इतिहास को छिपाने का पाप किया। शिक्षा में आज भी मैकाले की पद्धति चली रही है। अपने देश के गौरवशाली इतिहास को शिक्षा में शामिल कर हम इस शिक्षा की गुलामी को समाप्त कर सकते हैं। शिक्षा की आजादी के लिए भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज काम कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में देश को आजादी पतंजलि के माध्यम से ही मिलेगी।

चिकित्सा की आजादी

चिकित्सा की आजादी के लिए पतंजलि वैलनेस और पतंजलि का पूरा स्वदेशी अभियान समर्पित है। पतंजलि वैलनेस की इंटिग्रेटिड चिकित्सा पद्धति से करोड़ों लोग साध्य-असाध्य रोगों से मुक्ति पा रहे हैं। योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म, षट्कर्म, एक्युप्रेशर, एक्युपंक्चर, लीच थैरेपी, सिंगी आदि पूर्ण रूप से दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धतियाँ हैं।

आर्थिक आजादी

आर्थिक आजादी के लिए स्वदेशी अभियान इतना बड़ा करना है कि देश से विदेशी कम्पनियों की आर्थिक लूट और गुलामी का यह षड्यंत्र खत्म हो सके और सनातन के गौरव वैभव को लेकर हम आगे बढ़ें। इसके लिए सर्वप्रथम हमें स्वदेशी आंदोलन को गति देनी होगी। आज भारत इतना सक्षम है कि यहाँ सूंई से लेकर बड़े-बड़े जहाज, फाइटर जैट तथा समुद्री युद्धपोत बनाए जा रहे हैं। संकल्प लें कि हम स्वदेशी के इस अभियान में सहभागी बनेंगे और अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए स्वदेशी कम्पनियों के उत्पाद को अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे। पतंजलि ने सस्ते स्वदेशी उत्पाद सुलभ कराकर विदेशी एफएमसीजी कम्पनियों की नींद उड़ा दी है।

राष्ट्रधर्म सर्वोपरि

कुछ लोग इस देश में कह रहे हैं कि इस्लाम सर्वोपरि है, ईसाइयत सर्वोपरि है, मुसलमान सर्वोपरि है, कोई कह रहा है कि अमुक धर्म जाति सर्वोपरि है, लेकिन हम कह रहे हैं कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है, राष्ट्रप्रेम सर्वोपरि है, राष्ट्रहित सर्वोपरि है। इसी विचार को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास

पतंजलि भारत की स्वतंत्रता के मूल्यों आदर्शों का प्रतीक है। हम सबका दायित्व है कि जिन वीर, शहीद, क्रान्तिकारियों ने जिन स्वप्नों को लेकर इस देश के लिए अपने जीवन को आहूत किया, उन संकल्पों को पूरा करने के लिए हम जीएँ और उसके लिए कार्य करें। हमारा देश आगे बढ़े, उन्नत हो, समृद्धशाली हो। देश में सभी खुशहाल हों, सब मिलकर भाईचारे के साथ, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के संकल्प के साथ देश को आगे बढ़ाएँ।

योग, आयुर्वेद स्वदेशी का व्रत लें

आज सब संकल्प लेंगे कि हमें योग, आयुर्वेद, स्वदेशी का व्रत लेना है और योग धर्म, आयुर्वेद धर्म और इस स्वदेशी धर्म से राष्ट्र धर्म के व्रत में अपने आपको पूरी तरह से ढालना है। यह व्रत कई दशकों से या यह कहें कि बचपन से पूज्य स्वामी जी महाराज तथा हमनें लिया हुआ है।
योग यज्ञ का व्रत लें, गौ-वृति बनें। स्वतंत्रता दिवस पर हम यह प्रण लें कि गाय का ही दूध पीना है, घी खाना है। जब से होश संभाला है, तब से हम योग-व्रति हैं, यज्ञ-व्रति  हैं, गौ-व्रति हैं। हमको गुरुकुल में ही इन बातों का बोध हो गया था कि इन MNC  कम्पनियों ने देश को बहुत लुटा है। वो भी दिन आएगा जब भारत पूरी दुनिया को हेलीकाप्टर से लेकर के हवाई जहाज और फाइटर प्लेन आदि निर्यात करेगा और धीरे-धीरे सब चीजें भारत में बनने लगेंगी। आज कम से कम योग-स्वदेशी का व्रत लें, आर्थिक आजादी के लिए यह सबसे पहली और बड़ी शर्त है। जितनी भी यह MNC हैं इन्होंने देश में कोई राष्ट्र-निर्माण का, चरित्र निर्माण का कार्य नहीं किया और पतंजलि केवल यही करता आया है।

पतंजलि गुरुकुलम् का विराट स्वरूप

प्राचीन समय में ऋषि-मुनि विद्यार्थियों को गुरुकुलों में शिक्षा प्रदान करते थे जहाँ विद्यार्थियों को सनातन धर्म, संस्कार, राष्ट्रधर्म, अष्टाध्यायी, वेद, पुराण, व्याकरण, गीता, महाभाष्य की शिक्षा प्रदान कर वैदिक विद्वान बनाया जाता था। नालंदा तक्षशिला में हमारे पूर्वजों ने गुरुकुलों की तरह बड़े-बड़े विश्वविद्यालय बनाए थे, जहाँ देश-विदेश से विद्यार्थी विद्यार्जन के लिए आते थे। आज पतंजलि गुरुकुलम् बहुत बड़ा विराट स्वरूप ले रहा है। जब यह बनकर के पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो देश नहीं दुनिया के लोग इसे देखने और यहाँ पढऩे आएंगे।

स्वदेशी आंदोलन में राष्ट्रवासियों से आह्वान

पतंजलि का आह्वान है कि शिक्षा, चिकित्सा, सांस्कृतिक आजादी वैचारिक आजादी को आप आपके स्वदेशी के व्रत से थोड़ा सा सहयोग दीजिए। इस देश के लगभग 100 करोड़ लोग पतंजलि के उत्पाद प्रयोग करने लग गए हैं, ऐसे संकल्पवान पतंजलि से प्रेम करने वाले राष्ट्रभक्तों का अभिनन्दन है।

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