परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य...
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ओ३म
योग धर्म व सनाधर्म का मर्म
इस बार के योग दिवस को हमने युग के लिए योग-योगा फोर यूनिवर्स व वसुधैव कुटुम्बकम् आत्मनिर्भरता के लिए योग तथा पुर्नजीवन के लिए योग योग योगा फोर रिबर्थ एंड रिजुविनेशन पूरा विष्व रोग, नशा, हिंसा, युद्ध, झूठ, अनीति, दुःख, दरिद्रता, अशुचिता, अशुभ, असंतोष, आत्मविमुखता, विलासिता, दुर्विचार, दुर्भावना, दुर्गुण, दोष, दुर्बलता, क्षणिक सुख, आकर्षणों, प्रलोभनों, पापों, अधर्मों की ओर पलित हो रहा है, अनैतिक व अमानवीय आचरण से युक्त इस युग को योगयुक्त करके ही हम सब रोगों व समस्त दुःखों से मुक्त कर सकते हैं। भारत को इसमें बड़ी भूमिका निभानी है। हमारी प्रतिज्ञा है हम इस योगधर्म मूलक, वेदधर्म, ऋषिधर्म व सनातनधर्म को राष्ट्रधर्म व युगधर्म के रूप में प्रतिस्थापित करेंगे, योगमूलक षिक्षा व योगमूलक चिकित्सा कहें या योगमूलक जीवन पद्धति का हम सारे विश्व में प्रचार, प्रसार व विस्तार करेंगे। इससे सारे विश्व का उपकार व उपचार दोनों लक्ष्य पूरे होंगे, इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमने सभी भाई-बहनों को ऋषियों की सन्तान होने के नाते आह्वान किया है कि प्रत्येक गांव, गली-मौहल्ला, कालोनी, नगर-महानगर से प्रातः एक से डेढ़ धंटा के लिए घर से बाहर निकलकर योग करना व कराना है।
मात्र इस कार्य से विश्व का इतिहास बदलने व बनाने मे हम समर्थ हो जायेंगे। भारत का एक भी गांव या कोई भी कोना ऐसा नहीं है जहाँ हमारे योगी भाई-बहन ना हो, बस एक संकल्प तड़क लगन, उत्साह के साथ इस ईश्वरीय कार्य या सेवा को पूर्ण निष्ठा व निरन्तरता से निभाने की आवश्यकता है। मैंने ये किया है, आपको भी करना ही है। ये मेरा संन्यासी व ऋषियों का वंशधर होने के नाते आपसे निवेदन है।
इस योग व कर्म योग से चरित्र निर्माण, जीवन निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण व युग निर्माण के सारे लक्ष्य हमारे पूर्ण होंगे। योगमय, वेदमय, सनातनमय युग के निर्माण से संम्पूर्ण विश्व का सर्वविध कल्याण होगा।