सर्दी में पतंजलि के सर्वोत्तम उत्पाद

सर्दी में पतंजलि के सर्वोत्तम उत्पाद

स्पेशल च्यवनप्राश

च्यवन ऋषि ने इस दिव्य औषध के सेवन से पुन: युवावस्था को प्राप्त किया था। तभी से यह च्यवनप्राश के नाम से भारत की ऋषि परंपरा से आयुर्वेद में प्रचलित है तथा यह च्यवनप्राश आयु एवं यौन-शक्ति वर्धक है तथा श्वसन तंत्र (रेस्परेट्री सिस्टम) व स्वप्रतिरक्षा (ओटोइम्युनसिस्टम) को मजबूत बनाता है। च्यवनप्राश केवल रोगियों के लिए ही नहीं बल्कि स्वस्थ मनुष्य के लिए भी उत्तम रसायन है। यह किसी कारण से उत्पन्न शारीरिक और मानसिक दुर्बलता को दूर कर फेफड़ों को मजबूत करता है व हृदय को ताकत देता है। खाँसी, कफ को दूर कर शरीर को हृष्ट-पुष्ट बना देता है। यह रस, रक्तादि सातों धातुओं को पुष्ट करके बल, वीर्य, बुद्धि, कान्ति एवं शक्ति को बढ़ाता है।
मात्रा एवं उपयोग विधि
1-1 चम्मच आवश्यकतानुसार दिन में एक या दो बार धीरे-धीरे अवलेह (चटनी) की तरह खाएं। कफ, अस्थमा के रोगी च्यवनप्राश खाने के कुछ देर बार हल्दी या शिलाजीत दूध में लेें। तुरन्त बाद दूध न पीवें।

पतंजलि बादाम पाक

यह पौष्टिक रसायन है। इसके सेवन से दिमाग एवं हृदय की दुर्बलता, पित्त विकार, नेत्र रोग दूर होते हैं। यह सिर दर्द के लिए चमत्कारी औषधि है। यह बल वीर्य एवं ओज की वृद्धि करता है। ध्वजभंग, नपुंसकता, स्नायु दौर्बल्य में इसका सेवन अतीव लाभकारी है। बच्चों के सम्पूर्ण शारीरिक एवं बौद्धिक पोषण के लिए अत्यन्त लाभप्रद है। बौद्धिक कार्य करने वाले व्यक्ति एक चम्मच बादाम पाक सुबह खाकर ऑफिस जायेंगे तो दिन भर ऊर्जा के साथ काम कर पायेंगे।
मात्रा एवं उपयोग विधि
1 या 2 चम्मच पाक दूध के साथ मिलाकर या इसे खाकर भी दूध पी सकते हैं। बच्चे, जवान व बूढ़े, पुरुष व स्त्रियाँ समान रूप से दूध के साथ व बिना दूध भी इसका सेवन कर सकते हैं।

बादाम रोगन

पतंजलि बादाम रोगन शुद्ध एवं पौष्टिक बादामों से तेल निकालकर तैयार किया गया है। पतंजलि बादाम रोगन के सेवन से मस्तिष्क एवं नर्वस सिस्टम को शक्ति मिलती है। यह हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका (सेल) को शक्ति देकर हमें भीतर से सशक्त बनाता है। समर्थ व्यक्ति सिर एवं पूरे शरीर की मालिश के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।  यह बच्चों के शारीरिक वृद्धि एवं स्मरणशक्ति के लिए भी निरापद व अत्यन्त लाभकारी है।
मात्रा एवं उपयोग विधि
आम आदमी 5 से 10 बूंद दूध में डालकर पी सकते हैं। सिरदर्द व मस्तिष्क की थकान दूर करने के लिए, मेधा वृद्धि व तनाव के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें व 5-5 बूंदें नासिका में सोते समय डालें।

दिव्य धारा

यह सिर दर्द, दाँत दर्द, कान के रोग, नकसीर, चोट, शीतपित्त, खाँसी, अजीर्ण, मन्दाग्नि आदि में लाभदायक है। दाँत दर्द होने पर रुई में लगाकर पीड़ायुक्त दाँत पर लगा दें। पेट दर्द, गैस या अफारा व अस्थमा होने पर खांड, बताशा या गर्म जल में 3-4 बूँद डालकर सेवन करें। अस्थमा व श्वास रोग में सूँघने व छाती पर लगाने से विशेष लाभ होता है। श्वास रोग बढऩे की वजह से यदि श्वास न ले पा रहे हों तो आधा-एक किलो गर्म जल में 4-5 बूँद दिव्य धारा डालकर वाष्प लेने से तुरन्त लाभ मिलेगा। 5-10 बँूद सौंफादि के अर्क से हैजे में 15-15 मिनट में दें। लाभ होने लगे तो समय भी उसी तरह बढ़ा दें अर्थात् आधे-आधे घण्टे, एक-एक घण्टे, दो-दो घण्टे पश्चात् देने लगें। इससे हैजे में निश्चित लाभ हो जाता है। सर्दी, ज़ुकाम व एलर्जी की यह निरापद व सद्य: प्रभावकारी औषध है।
मात्रा एवं उपयोग विधि
सिर दर्द होने पर माथे पर इसकी 3-4 बूँद लगाकर मालिश करने तथा 1-2 बूँद सूंघने से सिर दर्द में तुरन्त राहत मिल जाती है।

शिलाजीत कैप्सूल

शिलाजीत ऊर्जा, शक्ति स्फूर्ति देती है। यह यौन दुर्बलता, वातरोग (जोड़ों का दर्द व गठिया), $फ रोग (अस्थमा व एलर्जी), धातुरोग, मूत्ररोग, हड्डियों की दुर्बलता, मधुमेह आदि में  स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समानरूप से लाभप्रद व जीवनीय शक्ति को बढ़ाने वाला है।
मात्रा एवं उपयोग विधि
१ से 2 कैप्सूल प्रतिदिन प्रात: सायं नाश्ते व खाने के बाद दूध से लें। जिनको उच्च रक्तचाप की अधिक समस्या हो तो शिलाजीत कम मात्रा में या चिकित्सक के परामर्श से ही सेवन करें।

दिव्य हर्बल पेय

दिव्य हर्बल पेय एक ऐसी चाय है जो वजऩ कम करने के लिए बहुत उपयोगी है, इसे हर्बल जड़ी-बूटियों से बनाया गया है। यह शरीर में जमा चर्बी को गलाने में मदद करती है। जिससे शरीर का वजऩ कम होता है, इसके अलावा दिव्य हर्बल पेय शरीर का पोषण करती है और इम्युनिटी बढाती है। यह रक्त चाप को संतुलित रखती है एवं पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करती है। दिव्य हर्बल पेय जड़ी- बूटियों का एक ऐसा मिश्रण है, जो खाँसी-ज़ुकाम और उसमे होने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक हैं ।
मात्रा एवं उपयोग विधि
चाय के स्थान पर दिव्य पेय को अपनी दैनिकचर्या में स्थान दें। यह एक गुणकारी औषधि है जो न केवल चाय से होने वाले दुष्प्रभावों से आपको बचाती है अपितु आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सर्दी, जुकाम आदि रोगों से भी बचाती है।

दिव्य कफ ड्रॉप्स

यह गले की खराश और सूखेपन को दूर करने के लिए एक सफल औषधीय टैबलेट है। यह अस्थायी रूप से खाँसी रोकने और गले को चिकना रखने में मदद करती है और संभवत: आपको ठण्डा या इन्फ्लूएंज़ा होने से बचाता है। यह बूढ़े, वयस्क, बच्चों एवं सभी वर्गों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।

दिव्य इन्हेलर दिव्य श्वासारि प्रवाही

यह श्वसन तंत्र के विकारों का सर्वोत्तम टॉनिक है। बच्चे भी इस औषधि को आसानी से ले सकते हैं। इसके सेवन से सर्दी, गंभीर से गंभीर खाँसी, अस्थमा, पसली चलना, छाती में क$फजमा होना, आदि परेशानियाँ दूर होती हैं। 5 या 10 मिली दवा दिन में दो-तीन बार आवश्यकतानुसार सेवन करायें।

पतंजलि बाम

पतंजलि बाम खांसी, सर्दी, सिरदर्द और आर्थराइटिस में अति लाभकारी।
 

सर्दी में पतंजलि के नैचुरल स्किन केयर प्रॉडक्ट्स

त्वचा की देखभाल तो वैसे हर मौसम में करनी चाहिए, लेकिन सर्दियों में त्वचा से संबंधित ज्यादा समस्याएं हो जाती है। इसलिए सर्दियों में त्वचा को एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है। सर्द हवाओं से त्वचा नमी खोने लगती है और रूखी व बेजान हो जाती है। ऐसे में लोग तरह-तरह के प्रयोग करते हैं, लेकिन उनका खास फर्क नहीं पड़ता। इसलिए सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए पतंजलि लेकर आए हैं अपने विभिन्न गुणवत्तायुक्त उत्पाद जो त्वचा को प्राकृतिक सौन्दर्य प्रदान करते हैं। इनमें एलोवेरा जेल, बोरो सेफ एन्टीसेप्टिक क्रीम, एन्टी-रिन्कल क्रीम, ब्यूटी क्रीम, लिप बॉम, बॉडी लोशन, कोकोनट नॉरिशिंग क्रीम, स्वर्ण कांति क्रीम तथा एन्टी एजिंग क्रीम आदि मुख्य हैं।

दिव्य पीड़ान्तक तैल

यह जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, घुटनों का दर्द, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस, स्लिपडिस्क, चोट आदि सभी प्रकार के दर्द, शोथ व पीड़ा में लाभप्रद है। सर्दियों में संधिस्थानों में पीड़ा बढ़ जाती है। संधिस्थानों पर इस तैल को निरन्तर मालिश करने से हमारी सभी मांसपेशियां शक्तिशाली होती हैं, साथ ही हड्डी बनने (बोन फार्मेशन) की प्रक्रिया में संतुलन आता है, अत: पीड़ान्तक तैल सभी प्रकार के हड्डी के रोगों मुख्यतः गठिया (आर्थराइटिस), अस्थि भंगुरता (ओस्टियोपोरोसिस), आमवात (रुमेटॉइड) एवं वातरक्त (गाउट) आदि में विशेष लाभप्रद है। दर्द या शोथयुक्त स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करके तेल को त्वचा में शोषित करने से पीड़ा समाप्त होती है। खुले स्थान व पंखे की तेज हवा में मालिश नहीं करनी चाहिए।
 

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