पतंजलि वैलनेस में निराश-हताश लोगों को मिली आशा की किरण

पतंजलि वैलनेस में निराश-हताश लोगों को मिली आशा की किरण

डॉ. अनुराग चिकित्सक- पतंजलि योगग्राम

ए.वी.एन. (अवस्कुलर नेक्रोसिस)रोग से मिला छुटकारा

मुझे डेढ़ साल पहले पता चला कि मुझे ए.वी.एन की समस्या है। पहले मैं स्पोर्ट्समैन था लेकिन इस बीमारी के कारण मेरा चलना भी मुश्किल हो गया था। मैं लगभग लंगड़ाकर चलने लगा था। डॉक्टर ने मुझे सर्जरी की सलाह दी। डॉक्टर ने बताया कि पहले हड्डी में छेद किये जायेंगे, उसके बाद भी यदि सफलता नहीं मिली तो आपका कुल्हा ही बदलना पड़ेगा। इसके अलावा और कोई चारा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये कूल्हा भी लगभग 10-15 साल तक चलेगा, उसके बाद कोई गारंटी नहीं है कि कुल्हा दोबारा लगेगा या नहीं। बाबा जी मैं डर गया था, उसके बाद मुझे पता चला कि एक सज्जन ने इस बीमारी को सही खानपान से ठीक कर लिया था। फिर मैंने भी नेचुरोपैथी पद्धति अपनाकर शाकाहारी फूड, सलाद, मोटे अनाज इत्यादि शुरु किये। सप्ताह में एक दिन जल उपवास भी किया। मैं सप्ताह में एक बार बस्ति जरूर लेता हू। अब मेरी स्थिति काफी बेहतर है, मैं अब भाग भी सकता हूँ। मैंने पारिजात के पत्तो का काढ़ा बनाकर भी पिया, जिससे कुछ दिनों से दर्द गायब सा हो गया है। बाबा जी आपके आशीर्वाद से मैंने इस बीमारी से छुटकारा पा लिया।
-अचिन महेश्वरी, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

कब्ज़ की समस्या को किया ठीक

मेरे बेटे ओजस को पिछले डेढ़ साल से कब्ज की समस्या थी। उसको कई-कई दिन तक पेट साफ नहीं होता था। उसके बड़े-बड़े टैस्ट करवाये जैसे- बेरियम एनीमा जो बच्चों को बहुुत पेनफुल होता है इसके अलावा और भी टैस्ट हुए और लैक्सीरिड जो बड़े बच्चों को दिया जाता है फिर भी उसकी सपोर्ट से भी उसका पेट साफ नहीं हुआ। फिर १५-२० दिन पहले आपने अभ्यारिष्ट के लिए बोला था, वो १० एमएल ओजस को दिया तो उसका पेट दिन में दो बाद साफ हुआ। फिर दो दिन बाद 3 एमएल दिया जिससे ओजस को काफी लाभ मिला। स्वामी जी मैं अपने बच्चे को लेकर काफी चिंतित थी, लेकिन आपके बताये उपाय तथा नेचुरोपैथी उपचार एवं औषधि से मेरे पुत्र की पेट की समस्या में काफी आराम मिला। मैं आपको प्रणाम करती हूँ पतंजलि के उपचार और आपके आशीर्वाद से मेरा बच्चा काफी ठीक हो गया।
   -ओजस की माता जी

 

गुलियन बैरे सिंड्रोम से मिला छुटकारा

मार्च में जी.वी.एस. रोग हुआ था, मेरी कमर में भी परेशानी थी। इसके साथ-साथ मुझे १० साल से थायराइड की समस्या भी थी जिससे मेरा शरीर ढ़ीला पड़ गया था। मुझे खड़े होने तथा झुकने में भी परेशानी थी। ये सब बीमारी के होने के बाद मुझे नागपुर भर्ती किया था वहाँ मेरा इलाज लगभग २२ दिन चला। मुझे २५-२५ हजार के इंजेक्शन भी लगाये गये फिर भी मेरा शरीर सही तरीके से काम नहीं कर पाया। डॉक्टर ने बताया कि इनको ठीक होने में लगभग एक साल लग जायेगा। हम घर आ गये लेकिन मेरा शरीर सही तरह से काम नहीं कर रहा था। मैंने टी.वी. पर आपको देखा और प्रेरित होकर योग करना शुरू किया। उसके बाद मैंने ५ बोतल गौधन अर्क पीया। गिलोय का जूस भी पिया, आंवला, पारिजात के पत्ते का जूस तथा एलोविरा की सब्जी भी बनाकर खायी। बाबा जी आपके बताये योग से मुझे बहुत आराम मिला। आपको कोटि-कोटि धन्यवाद।
- कुन्तनु वाड़े, बालाघाट, मध्यप्रदेश
 

27 साल पुरानी रीढ़ की हड्डी की समस्या हुई ठीक

27 साल से रीढ़ की हड्डी में दर्द की समस्या थी जिस कारण मैं सुबह उठ भी नहीं पाती थी, किसी तरह बच्चों का सहारा लेकर उठती थी। दीवार पकड़-पकड़ कर चलना पड़ता था। हालत बहुत ही खराब थी। मैं यहाँ तीसरी बार आयी हूँ पिछले साल मैं यहाँ डेढ़ माह रहकर गयी थी और उसके पहले 11 दिन रहकर गयी थी। अब तीसरी बार आयी हँू और अब मेरे को 80 प्रतिशत लाभ है और मैं अब अच्छी तरह से चलती
हूँ। सुबह उठने में थोड़ा समय लगता है लेकिन अपने आप उठ जाती हूँ। मैं अपने ठीक होने के बाद बाबा अमरनाथ की यात्रा भी करके आयी थी और पैदल ही पहलगाम से ऊपर तक तथा ऊपर से बालटाल तक पैदल ही चलकर आयी। बच्चों ने काफी रोका कि मम्मी आप अभी तो ठीक होकर आयी हो अभी पैदल मत जाओ। लेकिन मैं नहीं मानी, मैंने कहा कि अब हम ठीक हो गये हैं, अब तो पैदल ही जायेंगे। स्वामी जी मैं अब ठीक हूँ और रोज योग प्राणायाम करती हूँ
- मीरा देवी, दतिया, मध्य प्रदेश
 

भयंकर अर्थराइटिस की समस्या को किया छूमंतर

2012 में सेरोनिगेटिव रूमोटॉयड अर्थराइटिस हुआ था जिस कारण मैं दो माह तक सेना के सबसे बड़े अस्पताल आर.आर. में भर्ती हुआ था। मेरे हाथ व पैर की उगंलियां सूज कर टेड़ी हो गयी थी जिस कारण मैं  दरवाजा या नल भी नहीं खोल पाता था।  एक-डेढ़ माह तक मैं बहुत पीड़ित रहा। मुझे स्टेरॉइड दिए गए। मैंने महीनों तक 10-20 टेबलेट रोज ली।  इन सबसे मैं बहुत परेशान हो गया था और उसके बाद मेरी पोस्टिंग भी ऐसी जगह हो गयी जहाँ आपके प्रोडक्ट मुश्किल से मिलते थे। मैंने देखा कि वहाँ पर आँवला व एलोविरा बहुत था। तो मैंने रोजाना सितम्बर से मार्च तक 7-8 आंवला कच्चा खाना शुरू किया तथा एलोविरा के साइड के काँटे निकाल कर चम्मच से उसका जैल खा लेता था। गिलोय की डण्डी एक से दो फीट की चलते-फिरते चबा लेता था और उसके बाद हल्दी, मिर्च, सौंठ का पेस्ट बनाकर खाता था। आपके द्वारा बताए गए घरेलु नुस्खों के प्रयोग से अब मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ हू और पहले से बेहतर महसूस कर रहा हू। धन्यवाद स्वामी जी।
- सूबेदार मेजर ले. शैलेष कुमार पाठक

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