परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य
<% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<%= node_description %>
<% } %> Read More... <%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<% if(node_description!==false) { %> <%= node_description %>
<% } %> <% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
Read More... परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
Published On
By योग संदेश विभाग
विकल्पों में सत्य संकल्प जीवन के हरेक क्षेत्र में हमारे सामने बहुत सारे विकल्प होते हैं, जैसे राजनैतिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक या वैयक्तिक जीवन में। चिकित्सा के क्षेत्र...
Read More... परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
Published On
By योग संदेश विभाग
आध्यात्मिक भ्रान्तियां त्याग के नाम पर दरिद्रता व अभाव को भारत में इतना अधिक महिमा मंडित किया गया कि देश ही वैश्विक परिपेक्ष्य में दरिद्र गरीब देश कहा जाने लगा है। अपरिग्रह, तप, त्याग सादगी, न्यूनतम आवश्यकताओं...
Read More... परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
Published On
By योग संदेश विभाग
अध्यात्म के नाम पर भ्रान्तियां अध्यात्म की यथार्थ दृष्टि व कृति बहुत ही न्यून दृष्टिगोचर हो रही है। अध्यात्म के आधे-अधूरे, अधकचरे ज्ञान व प्रामाणिक आचरण के बिना वेदों व ऋषियों की यह पावन परम्परा कहीं बदनाम...
Read More... परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
Published On
By योग संदेश विभाग
एक सफल सुखी सार्थक जीवन के चार साधन 1. संकल्प: विकल्प रहित संकल्प विजयी होने का, सफल होने का संकल्प, योग चेतना, उच्च चेतना, आत्म चेतना, गुरु चेतना, ऋषि चेतना या भागवत् चेतना...
Read More... परम पूज्य योगऋषि स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...
Published On
By योग संदेश विभाग
संन्यासी का संकल्प 1. मैं ईश्वर की दिव्य संतान, ऋषि-ऋषिकाओं का वंशज एवं उनका आध्यात्मिक उत्तराधिकारी व प्रतिनिधि हूँ। भारत मेरी माँ है। अमृतस्य पुत्रा:। माताभूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या: (वेद) ऋषिणां प्रतिरूपोऽहम्। तत्त्वमसि। अयमात्मा ब्रह्म। शिवोऽहम्। अहं ब्रह्मास्मि ।। मैं...
Read More...