पतंजलि वि.वि. में 'शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता' का आयोजन  

पतंजलि वि.वि. में 'शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता' का आयोजन   

  •   चेतना के रूपान्तरण में सहायक हैं हमारे शास्त्र : पूज्य स्वामी जी
  •   शास्त्र श्रवण एवं स्वाध्याय से मानव का कायाकल्प सम्भव : पूज्य आचार्य जी
31 जुलाई। पतंजलि विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में दीप-प्रज्ज्वलन एवं श्रद्धा सूक्त पाठ के साथ मूर्धण्य विद्वानों की उपस्थिति में त्रिदिवसीय शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता हुई। प्रतिवर्ष पतंजलि विश्वविद्यालय में गीता, उपनिषद्, योग दर्शन, पंचोपदेश, निघण्टु शास्त्र, स्मरण हेतु प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
इस अवसर पर प्रतिभागियों एवं विद्वानों को अमेरिका से सम्बोधित करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हमारी आर्ष ज्ञान परम्परा ऋषियों द्वारा दी गई सबसे बड़ी विरासत है जिसकी रक्षा करना हम सभी का कर्त्तव्य होना चाहिए।

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पतंजलि विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी ने उपस्थित प्रतिभागियों को अपना शुभाशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्र का अध्ययन-अध्यापन स्मरण कर हमें अपनी परम्पराओं की रक्षा करनी चाहिए। जब हम शास्त्रों के माध्यम से ऋषि विद्या का स्वाध्याय करते हैं तो इससे हमारा जीवन दिव्य होता है तथा दोषों से मुक्त हो जाता है।

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उद्घाटन सत्र में गुरुकुल कांगड़ी वि.वि. के कुलपति डॉ. सोमदेव शतान्शु, उत्तराखण्ड संस्कृत वि.वि. के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, नेपाल के उद्योगपति एवं वहाँ प्रथम गुरुकुल की स्थापना करने वाले श्री सुरेश शर्मा, संस्कृत के महाकवि एवं पतंजलि वि.वि. के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. मनोहर लाल आर्य, भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य एवं व्याकरण के आचार्य डॉ. भोला झा, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग के मर्मज्ञ विद्वान डॉ. विजय पाल प्रचेता एवं पतंजलि वि.वि. की कुलानुशासिका एवं मानविकी प्राच्य विद्या अध्ययन की अध्यक्षा डॉ. साध्वी देवप्रिया आदि विद्वानों का भी उद्बोधन प्राप्त हुआ।
समापन अवसर पर वि.वि. के प्रति-कुलपति एवं वैदिक विद्वान प्रो. महावीर अग्रवाल जी ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए उन्हें प्रतिदिन नियमित रूप से किसी--किसी शास्त्र के स्वाध्याय को अपनी जीवन-शैली का अभिन्न अंग बनाने हेतु प्रेरित किया। अपने उद्बोधन में प्रो. अग्रवाल जी ने कहा कि जिस देश की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय शास्त्रों का ज्ञान समाहित हो, जहाँ ज्ञान की परम्परा में वैज्ञानिक तकनीकों के साथ स्वाध्याय का समावेश हो तो निश्चित ही वहाँ के युवा का व्यक्तित्व समग्र रूप से विकसित एवं प्रखर होगा।

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पतंजलि वि.वि. की कुलानुशासिका एवं मानविकी प्राच्य विद्या अध्ययन संकाय की अध्यक्षा डॉ. साध्वी देवप्रिया जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय विश्व का एकमात्र ऐसा वि.वि. है जहाँ के विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के साथ-साथ प्रतिदिन योग, यज्ञ, शास्त्र स्मरण करते हैं तथा अनुशासित जीवन जीते हैं। उन्होंने बताया कि जब हम विकल्परहित संकल्प के साथ प्रचंड पुरुषार्थ करते हैं तो इससे हमारा मनो-शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता तथा मन की प्रतिरोधक क्षमता भी उच्च स्तर की बनी रहती है।
प्रतियोगिता के दौरान मर्मज्ञ विद्वानों ने प्रतिभागियों की अनेक प्रकार से शास्त्र-स्मरण सम्बंधी मौखिक परीक्षा ली, जिसमें छात्र-छात्राओं ने आश्चर्यजनक भावपूर्ण प्रदर्शन किया। बीएनवाईएस की छात्र सुश्री दान, साध्वी देवशौर्या, स्वामी विरक्तदेव ने उपनिषद में प्रथम स्थान्, साध्वी देवकान्ति, अंशिका एवं साध्वी देवसंस्कृति ने अष्टाध्यायी में प्रथम, साध्वी देवापर्णा, स्वामी कौशलदेव, स्वामी भवदेव ने द्वितीय, ब्रह्मचारी अशोक, ब्रह्मचारी आनन्द, साध्वी देवप्रभा, काशीराम एवं स्वामी प्रणदेव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही श्रीमदभगवद्गीता में पूज्य स्वामी अर्जुनदेव, साध्वी देवसंस्कृति एवं प्रेरणा ने द्वितीय, पंचोपदेश में ब्रह्मचारिणी योगिता, साध्वी देवस्मृति, ब्रह्मचारिणी रुक्मिणी ने द्वितीय स्थान, शब्दधातुरूप में ब्रह्मचारी तपोधन, ब्रह्मचारी लक्ष्मण ने द्वितीय, पंचदर्शन में रिचा ने तृतीय, निघंटु में पूज्य स्वामी प्रकाशदेव ने प्रथम स्थान, त्रिदर्शन में साध्वी देवशिला ने द्वितीय स्थान, योगदर्शन में सृष्टि, अनिल, मनोज कुमार, ललिता, यशी, क्षमा, साध्वी देवसीमा, अक्षिता, प्रियंका, मुक्ता, साध्वी देवसंस्कृति, अनीता, ब्रह्मचारिणी सुभद्रा, पूज्य स्वामी भवदेव, दीपक, नवीन, साध्वी देवराध्या, मुस्कान, अविकांत, दुर्गेश ने प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान में सुमेधा, अर्चिता, सरस्वती, योगेश्वर, शीतल, वीर शर्मा, प्रतीक, साक्षी, साध्वी देवधैर्या, शिवा, सुमेधा, दुर्गा तथा तृतीय स्थान रोहिना, पूज्य स्वामी प्रसन्नदेव, ऋतुजा ने प्राप्त किया। विजेता प्रतिभागियों को आयुर्वेद शिरोमणि श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी के जन्मोत्सव 'जड़ी-बूटी दिवसÓ- 04 अगस्त के अवसर पर योगगुरु पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज की पावन उपस्थिति में पुरस्कार राशि एवं प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अध्यक्ष, वरिष्ठ आचार्यगण, साध्वी देवसुमना, मुख्य महाप्रबंधक ब्रि. टी.सी. मल्होत्रा, भारत स्वाभिमान के केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश एवं स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव,स्वामी आदिदेव, स्वामी मित्रदेव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन स्वामी ईशदेव द्वारा किया गया।
 
 
 

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