स्वस्थ भारत के शिल्पकार परम पूज्य स्वामी जी महाराज

स्वस्थ भारत के शिल्पकार परम पूज्य स्वामी जी महाराज

वंदना बरनवाल  राज्य प्रभारी
महिला पतंजलि योग समिति, .प्र.(मध्य)

आध्यात्मिक संग वैज्ञानिक हैं यौगिक विधियां

प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठने की अवधारणा हो, सूर्य को अर्ग देकर नित पूजा-पाठ और योग का विधान हो, परिवार संग बैठ शाकाहारी भोजन का विचार हो और या फिर पारस्परिक संबंधों में भावना का जुड़ाव हो, अपने दैनिक दिनचर्या में जब हम ऐसी छोटे-छोटे क्रियाकलापों को सरल-सहज तरीके से साधते हैं, हमारे भीतर उर्जा का एक नया एवं अत्यंत महत्वपूर्ण कोष निर्मित होता है। यह कोष जहाँ हमें जीवन के प्रति विराट दृष्टि प्रदान करता है तो वहीं शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य भी प्रदान करता है और साथ ही देता है सामाजिक और वायुमंडलीय सुरक्षा भी। अपनी इसी विराट दृष्टि के कारण ही तो भारतीय संस्कृति प्रारंभ से ही 'सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया' की उद्घोषक रही है। और जब हम सबके सुख और सबके निरोगी रहने की कामना करते हैं तो फिर उर्जा के उस सिद्धांत का पालन होता है जिसमें हम जो और जैसा देते या सोचते हैं, हमको मिलता भी वही है। यही तो मूलमंत्र है अच्छे स्वास्थ्य का। इसीलिए जब संपूर्ण विश्व का चिकित्सा विज्ञान कोरोना के समक्ष नतमस्तक हो चुका था, तब हमारी आहार पद्धति, आध्यात्मिक मूल्य, योग-आयुर्वेद आदि ढाल बनकर सामने आये और इसका बहुत हद तक श्रेय पूज्य स्वामी जी महाराज को जाता है। पूज्य स्वामी जी ने केवल योग के प्रयोग को स्वयं पर आजमाया बल्कि एक कुशल शिल्पकार की तरह हर बीमार शरीर को स्वस्थ शरीर बनने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। पूज्य स्वामी जी के संकल्प की ही देन है कि आज योग का क्षेत्र केवल आसन, प्राणायाम, शारीरिक अभ्यास तक ही सीमित नहीं है बल्कि उससे बहुत आगे निकलकर वैकल्पिक और फिर धीरे-धीरे मुख्य धारा की चिकित्सा पद्धति में अपनी धाक जमा रहा है। निश्चित तौर पर आने वाला कल भारत का है और हम सभी उस पल के भी साक्षी होंगे जब भारत अपनी इसी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति की बदौलत पूरे विश्व को स्वास्थ्य की सही परिभाषा से जोड़ते हुए एक गुरु के समान उसका मार्गदर्शन करेगा।

भारत होगा विश्व स्वास्थ्य-गुरु

आजादी के बाद हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली अद्भुत रूप से विकसित हुई है लेकिन अभी भी बहुत सारे सुधार किए जाने बाकि हैं। स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में आगे के सुधार के लिए योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रवेश एक मील का पत्थर साबित होगा। आज भारत इसी आशा और लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है कि आज के 25 साल बाद जब भारत आजादी की स्वर्ण शताब्दी मना रहा होगा, तब भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में अग्रणी रहते हुए पूरी दुनिया के लिए अपने स्वभाव के अनुरूप सेवार्थ खड़ा मिलेगा। आज से 25 वर्षों बाद का भारत, विश्व स्वास्थ्य-गुरु की भूमिका में होगा। पर यह होगा कैसे। इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही उत्तर है और वो है योग और आयुर्वेद, जिसके सहारे भारत विश्वगुरु के सपने और सर्वश्रेष्ठ नेतृत्वकर्ता के लक्ष्य के साथ तेजी से अग्रसारित है। देश में वैसे भी अमृतकाल (अमृत महोत्सव) चल रहा है। अमृत का शाब्दिक अर्थ ही है (अमरता) अमरता यानि ऐसा रसायन जो अमरत्व प्रदान करे। आजादी के 75 वर्षों में देश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी तरक्की की है पर यह चुनौती हर दिन और बढ़ रही है ऐसे में हम सबका योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में थोड़ा सा और प्रयास आजादी के अमृत महोत्सव के उद्देश्य को विस्तृत कर इसे बीमारियों से आजादी का अमृत महोत्सव बना सकता है। हमें बस इस बात प्रण लेना होगा कि स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए अपनी ऊर्जा को हमें योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में थोड़ा और खपाना होगा। स्वस्थ भारत के शिल्पकार पूज्य स्वामी जी की रचना को साकार करने का उद्देश्य इसी प्रण से पूर्ण होगा।

जीवन में लक्ष्य है जरुरी

भारत जब स्वस्थ होगा तभी समृद्ध भी होगा और फिलहाल तो वर्तमान समयकाल स्वस्थ भारत के निर्माण का स्वर्णिम काल है। क्योंकि आज हर घर, हर आँगन, हर गली, हर मोहल्ले सर्वत्र ही योग की चर्चा है। हम सभी योग शिक्षक शिक्षिकाओं को बस अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना है। इस लक्ष्य में योग शिविर लगाने से लेकर नए योग शिक्षक तैयार करना शामिल है। स्वस्थ भारत के निर्माण में आइये हम सभी अपनी-अपनी भूमिकाओं, उद्देश्यों और लक्ष्य को अवश्य तलाशें क्योंकि जीवन में उद्देश्य होगा तभी हम उसके अनुसार स्वयं को ढाल सकेंगे। श्रीमद्भगवद्गीता में 'योग: कर्मसु कौशलम्' अर्थात् कार्य की कुशलता को ही योग बताया गया है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने स्वयं 140 करोड़ भारतीयों के लिए स्वयं को एक आइकॉन बनाने की एक लंबी एवं प्रेरक यात्रा तय की है। इस यात्रा में जीवन के पग-पग पर मिली चुनौतियों और संघर्षों को उन्होंने अवसर मानकर स्वास्थ्य से भरपूर एक नए और स्वस्थ भारत का शिल्प गढ़ा है। विगत 20-30 वर्षों से देश और दुनिया के लोग हर दिन सुबह योग, आयुर्वेद की उनकी वैचारिकी, कार्यशैली, विजन और मिशन के साक्षी बनते हैं। नियमित योगाभ्यास कर स्वामी जी ने स्वास्थ्य का जो माडल प्रस्तुत किया है, ऐसा लगता है भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व सदियों से इसकी प्रतीक्षा कर रहा था। आज योग विज्ञान की सर्वत्र लोकप्रियता देख मन आह्लादित हो जाता है। भारत का यह अत्यंत प्राचीन विज्ञान अब पूरे विश्व में स्वीकार्य किया जा चुका है।

सफलता की नई गाथा का समय

राष्ट्र के प्रति हमारे विचार और शब्द भी कर्म होते हैं, जिनका परिणाम मिलता है। भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूर्य उदय हो रहा है। पूरब रंग में डूबा भारत स्वयं भी जाग चुका है और दूसरों को भी जगा रहा है। भारत की संस्कृति भी यहां की प्रकृति की तरह ही अनन्त रूपों वाली है। विगत कुछ वर्ष भारतीय राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण काल रहे हैं। आगे आने वाले वर्ष तमाम आशंकाओं को निर्मूल सिद्ध करते हुए भारत के उगते सूर्य के प्रकाश के और दैदीप्यमान होने के साक्षी बनेंगे। हम सभी स्वस्थ भारत के कुशल शिल्पकार परम पूज्य स्वामी जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में स्वस्थ भारत के साथ ही समृद्ध भारत बनने की दिशा में सफलता की नई गाथा लिखेंगे। एक तरफ गत तीन दशकों में परम पूज्य गुरुवर, श्रद्धेय आचार्यश्री के आशीर्वाद से हम सभी योग शिक्षक-शिक्षिकाओं ने देश भर के गली-मोहल्लों, पार्कों और विद्यालयों में अपने लगन, उत्साह और परिश्रम के फलस्वरूप नि:शुल्क योग की कक्षाओं की स्थापना की तो दूसरी तरफ उनके दिव्य नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ, पतंजलि आयुर्वेद, पतंजलि वेलनेस, पतंजलि परिधान, योगग्राम, निरामयम् जैसे कई मील के पत्थर स्थापित हो चुके हैं।

स्वस्थ भारत के कुशल शिल्पकार

हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हम सभी इस समयकाल के सिर्फ साक्षी ही हैं बल्कि हमें ईश्वर के प्रतिनिधि और स्वस्थ भारत के कुशल शिल्पकार के रूप में पूज्य गुरुवर का सान्निध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। उनके अखंड-प्रचंड पुरुषार्थ के फलस्वरूप योग की उपयोगिता को विश्वभर में उसकी स्वीकार्यता को स्थापित कर दिया है। आज यदि विश्व में भारत का कद बढ़ा है और दुनिया भारत की ओर देख रही है तो नि:संदेह इसमें योग और योगऋषि दोनों का ही बहुत बड़ा योगदान है। यह भारत के नवनिर्माण की अमृत बेला है, इस अमृत काल में हर घर-आँगन योग के माध्यम से स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र की स्वर्णिम संकल्पना करते हुए वर्तमान में जिस स्वस्थ भारत का निर्माण हो रहा, उस स्वस्थ भारत के शिल्पकार पूज्य स्वामी जी महाराज ही हैं। आइये! हम सब भी प्रण लें कि इस अमृत बेला में हम सभी योग शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं कार्यकर्ता भाई-बहन पूर्ण निष्ठा और समर्पण की भावना के साथ पूज्य गुरुवर के दिशा-निर्देशन में उनके दिखलाये सोपानों पर बिना रुके, बिना थके आगे बढ़ते रहेंगे।

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