स्वास्थ्य समाचार

अमेरिका ने मोटापे की वजह बताने वाले जेनेटिक टेस्ट को मंजूरी दी, इससे सटीक इलाज हो सकेगा

मोटापे की दवाइयां सभी पर समान रूप से काम नहीं करतीं, पेट नहीं भरता है तो उच्च प्रोटीन, कुछ देर में भूख लगती है तो फाइबर वाली डाइट कारगर

इन दिनों सोशल मीडिया पर मोटापा घटाने वाली दवाओं की बाढ़ आई हुई है, लेकिन ये दवाएं सभी पर समान तरीके से काम नहीं करती है। कुछ लोगों का वजन 20% तक घट जाता है और कुछ को 1% घटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है, क्योंकि मोटापे की वजहें अलग-अलग होती हैं। मेयो क्लिनिक में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ. एंडे्रस एकोस्टा ने इन वजहों का पता लगाने के लिए खुद को 10 वर्षों तक लेबोरेटरी में झोंक दिया। उन्होंने मोटापे की वजहों को हिस्सों में बांटा है- पहला हंग्री ब्रेन यानी भूखा मस्तिष्क- इसमें वे लोग आते हैं जो कभी भी पेट भरा हुआ महसूस नहीं करते। दूसरा हंग्री गट यानी भूखा पेट- इसमें ऐसे लोग आते हैं जो पेट भर जाने तक खाते हैं और एक-दो घंटे में दोबारा भूख लगने लगती है। तीसरा इमोशनल हंग्री यानी भावानात्मक  भूख- ऐसे लोग जो खुद को पुरस्कृत करने के लिए खाते हैं या भावानात्मक मुद्दों से निपटने के लिए जमकर खाते हैं और चौथी श्रेणी है स्लो बर्न की। जिनका मेटाबॉलिज्म मुश्किल से कैलोरी बर्न करता है। डॉ. एकोस्टा का कहना है कि मोटापा किस कारण से है, उपचार के दौरान इसकी जानकारी होनी चाहिए। मिसाल के तौर पर जो कभी भी पेट भरा हुआ महसूस नहीं करते हैं, उन्हें डाइट कंट्रोल करने में अधिक संघर्ष करना पड़ेगा और जिनका मेटाबॉलिज्म मुश्किल से कैलोरी बर्न करता है। ऐसे लोग कभी भी पर्याप्त वजन कम नहीं कर सकते, भले ही वे कितना ही एक्सरसाइज करें। एकोस्टा और उनकी टीम ने एक लार टेस्ट विकसित किया है, जो उनके द्वारा पहचाने गए मोटापे से संबंधित जीन के एक सेट का विश्लेषण करके चार प्रकार के मोटापे को अलग कर देता है। ये परीक्षण चिकित्सकों और रोगियों को इस बारे में स्पष्ट मार्गदर्शन देगा कि किस लक्षण पर कौन सी दवा ज्यादा प्रभावी होगी। उनका कहना है कि अभी तक मोटापा कम करने के लिए दवा का इस्तेमाल करना अंधेरे में तीर चलाने जैसा था। यह प्रैक्टिस मोटापे के क्षेत्र में काफी व्यापक और जोखिमभरी है। अमेरिका ने हाल ही में इस टेस्ट को मंजूरी दी है और करीब ३०० से अधिक चिकित्सक इस टेस्ट के लिए आगे आए हैं। इलिनॉय ओबेसिटी सोसाइटी के प्रेसिडेंट और मोटापा विशेषज्ञ डॉ. जैद जब्बार कहते हैं कि इससे हमें यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि किन रोगियों को किस श्रेणी की दवाएं देनी हैं या डाइट में बदलाव करना है।
मोटापे में ज्यादातर लोग हंग्री ब्रेन और हंग्री गट की श्रेणी में ही आते हैं
एकोस्टा का कहना है कि40-70% लोगों में मोटापे  की वजह जेनेटिक्स है। अधिकांश लोग हंग्री गट या हंग्री ब्रेन श्रेणी में आते हैं। हंग्री गट वाले लोगों के लिए उच्च प्रोटीनयुक्त भोजन मददगार हो सकता है, जो जीएलपी- जैसे हार्मोंन की सक्रियता बढ़ा सकता है। जैसा कि दवा करती है, इससे भूख मिट सकती है। ऐसे लोगों को भूख शांत रखने के लिए दिन में तीन से पांच बार कम मात्रा में प्रोटीनयुक्त डाइट लेनी चाहिए। हंग्री ब्रेन वाले लोगों को अधिक मात्रा में फाइबर अैर कम कलौरी वाला भोजन लेना चाहिए। ऐसे रोगियों को पेट भरा रखने के लिए दिन में एक से दो बार पूरा भोजन करना चाहिए ताकि मस्तिष्क को खाना बन्द करने का संकेत मिल सके
साभार : दैनिक भास्कर
भारत से योग सीखकर गए शख्स ने इस्लामिक देश में जगाई अलख, राष्ट्रपति का भी समर्थन

सीरिया में योग का सूर्योदय..... गृह युद्ध और आर्थिक स्थिति से उपजे तनाव से निपटने में मदद मिल रही, एक दशक में चार गुना बढ़ गए योग केन्द्र

सीरिया की राजधानी दमिश्क के बाग-बगीचे स्टेडियम हों या खेल के मैदान, सभी जगह बच्चों से लेकर बड़े तक योग करते दिखते हैं। सूर्य नमस्कार से लेकर सभी आसन सीखकर खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद बना रहे हैं। योग के लिए यह समर्पण पूरे देश में दिखने लगा है। किसी इस्लामिक देश में ऐसा बदलाव हैरान करने वाला है।
दरअसल, करीब दो दशकों तक गृह युद्ध और आर्थिक तनाव से जूझ रहे सीरियाई लोगों को सामान्य जिंदगी में वापस लाना चुनौती थी। ऐसे में योग अहम हथियार बना और इस विद्या से देश को रूबरू माजेन ईसा ने करवाया। माजेन दो दशक पहले योग की स्टडी करने भारत आए थे। ऋषिकेश में रहकर योग सीखा। लौटते ही उन्होंने योग अभ्यास केंद्र खोला। तब से लेकर आज देश में सैकड़ों नि:शुल्क योग और केंद्र खोले जा चुके हैं। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद भी योग के समर्थक हैं इसलिए भी योग को सफलता मिल रही है। आधी सदी तक कट्टर असद राजवंश ने देश में सुन्नी मुस्लिमों पर दबाव बनाने की नीति अपनाई। पर हाल ही में उन्होंने बाकी धर्मों सम्प्रदायों को लेकर रूख नरम किया। योग को बढ़ावा देने के साथ ही साथ ईसाईयों को घरों में चर्च की मंजूरी देनी शुरू की है इसके अलावा सीरिया मूल के यहूदियों को दमिश्क का दौरा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। असद सरकर को लगता है कि इन कोशिशों से सरकार का अल्पसंख्यक आधार बढ़ेगा और उनकी छवि बदलने में मदद मिलेगी। गृह युद्ध से तबाह हुए देश में लोगों को नए धर्म और उनकी संस्कृति राहत देती हैं। माना जाता है कि इस दौरान 3.5 लाख लोग मारे गए थे। 2012 में 202 करोड़ से ज्यादा आबादी विस्थापित है या विदेश जाने के लिए मजबूर हो गई है। 90% लोग गरीबी में जी रहे हैं। सभाएं अभी भी बंद हैं। ऐसे में छोटे-छोटे बदलाव उम्मीद जगाते हैं।
शरणार्थी बस्तियों में भी योग, कैथोलिक कॉलेज भी खुले
सीरियाई योग और ध्यान केंद्र के मुताबिक २०११ में युद्ध शुरू होने के बाद से योग केंद्र गुना बढ़ गए हैं। खेल मंत्रालय उन्हें योग के लिए फुटबॉल मैदान तक उपलब्ध करा रहा है। असद विश्व योग दिवस पर अधिकारियों को भेजते हैं। सीरियाई शरणार्थियों में भी योग तेजी से जगह बना रहा है। चैरिटी इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ह्यूमन वैल्यूज सीरियाई लोगों के लिए शिविर योग कक्षाएं आयोजित कर रहा है। दमिश्क में कैथोलिक कॉलेज खोला गया। असद और उनकी पत्नी चर्च भी जाते है।
साभार : दा इकॉनोमिस्ट
हैटिनगन शहर में चल रहा 60 बेड का अस्पताल, शाकाहार-योग पर फोकस

जर्मनी में आयुर्वेदिक पद्धति से पार्किंसन बीमारी का उपचार

जर्मनी में आयुर्वेदिक पद्धति से पार्किंसन (तंत्रिकाओं से जुड़ा रोग) की बीमारी का उपचार किया जा रहा है। जर्मनी के हैटिनगन शहर में पिछले 14 साल से प्रोटेस्टेंट अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में आयुर्वेद को पूरक पद्धति के रूप में मरीजों के उपचार में इस्तेमाल होता है। एलोपैथी के साथ आयुर्वेद को शामिल करते हैं। अस्पताल की रिसर्च टीम के सदस्य डॉ. संदीप और डॉ. सुनील का कहना है कि आयुर्वेद पद्धति से पार्किंसन के रोगियों में सूंघने की शक्ति लौटाने में काफी मदद मिलती है। आयुर्वेदिक पद्धति से पार्किंसन के उपचार के अन्य फायदों पर विस्तृत रिसर्च अभी जारी है।
ध्यान-स्पीच थैरेपी से मरीजों को लाभ मिल रहा है
डॉ. सैन्ड्रा सैजमैन्स्की ने बताया कि ६० बेड के अस्पताल में मरीजों के आयुर्वेदिक पूरक पद्धति से उपचार के दौरान योग कराया जाता है। मरीजों को आयुर्वेदिक डाइट का विकल्प होता है। अस्पताल के किचन में बनने वाली आयुर्वेदिक डाइट पूर्णत: शाकाहारी होती है। डायबिटिज में भी ये फायदेमंद होती है।
डॉ. हॉर्स्ट ने भारत में जाने आयुर्वेद के फायदे
डॉ. हॉर्स्ट प्रेजुन्टेक ने भारत प्रवास के दौरान आयुर्वेद के फायदों को जाना। २००९ में आयुर्वेद को पूरक पद्धति के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। डॉ. हॉर्स्ट गैस्ट्रोनॉमिकल (पेट संबंधी) सिस्टम को बीमारी का मूल कारण मानकर उपचार करते हैं।
साभार : आरोग्यम

Advertisment

Latest News

परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य........... परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...........
ओ३म 1. भारत का सामर्थ्य - रोगमुक्त इंसान एवं रोगमुक्त जहान् और न केवल रोगमुक्त, नशा, हिंसा, घृणा, विध्वंस, युद्ध...
पतंजलि ने आयुर्वेद को सर्वांगीण, सर्वविध रूप में, सर्वव्यापी व विश्वव्यापी बनाया
नेपाल में भूकंप पीडि़तों के लिए पतंजलि बना सहारा
पतंजलि विश्वविद्यालय में 'समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
शास्त्रों के अनुसार राजधर्म का स्वरूप
जीवन को निरोगी एवं स्वस्थ बनायें उपवास (Fasting)
हिन्दू नृवंश के विश्वव्यापी विस्तार के संदर्भ में आवश्यक विचार
स्वास्थ्य समाचार
हिपेटाइटिस
अनुशासन : योग का प्रथम सोपान