श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य
<% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<%= node_description %>
<% } %> Read More... <%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<% if(node_description!==false) { %> <%= node_description %>
<% } %> <% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
जीवन के गूढ़ विषयों के विभिन्न सन्दर्भो को हम लिखते हैं इस बार आरोग्य के कुछ बड़े निष्कर्षों को हम आप तक संपे्रषित कर रहे हैं। शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व वैश्विक स्वास्थ्य के सूत्रों को हम यहां स्पष्ट...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
सनातन धर्म का मर्म 1. संन्यास धर्म : पतंजलि योगपीठ के संन्यासी न पलायनवादी, न जातिवादी, न ही प्रमादी हैं। योगी, कर्मयोगी, राष्ट्रवादी ऐसे संन्यासी हमने तैयार किए हैं जो संन्यासधर्म, वेदधर्म, ऋषिधर्म...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
संन्यास धर्म व संकल्प 1. हम अपने गुरु के संकल्प के साथ सर्वात्मना, एकात्म होकर योग धर्म व आत्मधर्म में प्रतिष्ठित रहते हुए सनाधर्म को राष्ट्रधर्म व विश्वधर्म के रूप् में स्थापित करने हेतु विकल्प रहित संकल्प के साथ...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
सनातन धर्म धर्म एवं मजहब में भेद- समग्र विश्व में ज्ञान विज्ञान के इतने उन्नत होने के बाद भी धार्मिक अज्ञानता दिनोंदिन और अधिक बढ़ती ही जा रही है। यद्यपि मिथ्याज्ञान, अल्पज्ञान, भ्रान्तज्ञान एवं नितान्त अज्ञान, ...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
सात्विक जीवन के सूत्र 1. सच्चा धन- सुस्वास्थ्य, सद्ज्ञान, सद्भाव, सद्कर्म, सुसंस्कार, सदाचार, सात्विक समृद्धि एवं योग पूर्वक उद्योग ये आठ हमारी सच्ची दौलत हैं। 2. सात्विकता - सत्त्व, रज एवं तम...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
मानव जीवन ओ3म 1. मानव जीवन भगवान् का सर्वश्रेष्ठ वरदान- मनुष्य धरती पर भगवान् की सर्वश्रेष्ठ रचना, भगवान् का सबसे बड़ा अनुग्रह है तथा मनुष्य का जीवन पाकर सर्वश्रेष्ठ आचरण करें साथ ही जीवन में श्रेष्ठतम...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
स्वामी रामदेव
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
जीवन की तीन मर्यादा प्रत्येक मनुष्य सफल व सुखी जीवन जीना चाहता है और इसके लिए पूर्ण ज्ञान, पूर्ण निष्ठा व पूर्ण पुरुषार्थ करता हुआ वैयक्तिक व सामूहिक स्तर पर प्रवृत्त होता है। स्वयं की प्रज्ञा, समष्टि के...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
योगी का त्रैतवाद हम सब आत्माएं स्वभाव से ही योगी है। योगेष्वर भगवान श्री कृष्ण ने गीता के आठवें अध्याय के तीसरे श्लोक में स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते कहकर अध्यात्म को ही हमारा मूल स्वभाव, मूल प्रकृति, अपनी निजता या अपना मूल स्वरूप...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
सफल आध्यात्मिक जीवन का स्वरूप 1. दिव्य जीवन: श्रेष्ठ ज्ञान, ऊँची निष्ठा, अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या, समर्पण, प्रेम, मैत्री, करुणा, मुदिता, वात्सल्य, सफलता व उपलब्धियों से भरा पूर्ण...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
मुक्ति का व्यावहारिक दर्शन व सिद्धान्त दिव्य जीवन जीने के तीन सोपान, साधन या उपाय हैं। योगी को जीवन में तीन सबसे बड़े कार्य करने होते हैं। एक आसन व व्यायाम से शरीर की शुद्धि तथा प्राणायाम व...
Read More... श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
Published On
By योग संदेश विभाग
आध्यात्मिकता का यथार्थ स्वरूप आध्यात्मिकता के नाम पर अनेकों भ्रमपूर्ण भ्रान्तियाँ प्रचलित हैं जैसे- आध्यात्मिक व्यक्ति सदा ध्यान में बैठा रहता है, सदा जप करता रहता है, कुछ काम नहीं करता, सात्विक समृद्धि या ऐश्वर्य वृद्धि...
Read More...