थायराइड विकारों में प्राणायाम और योगासन

थायराइड विकारों में प्राणायाम और योगासन

डॉ. रवीन्द्रनाथ दास 
एम.बी.बी.एस, एम.डी, एम.आर.सी.पी(यूके), एफ.आर.सी.पी.(लंदन)

 परम पूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज 1995 से हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ में आयोजित शिविर में प्राणायाम और योग-अभ्यास के माध्यम से केवल भारत के विभिन्न हिस्सों में बल्कि पूरे विश्व में आशा की रोशनी जला रहे हैं।
संस्कृत में थायरॉइड ग्रंथि को (कंठमणि) कहा जाता है क्योंकि गले के सामने 4x2x1 सेमी. की तितली की तरह दिखने वाली इस 5 ग्राम की अंत:स्रावी ग्रंथि के स्राव के कारण ही सिर से पैर तक शरीर की प्रत्येक कोशिका ठीक से काम कर पाती है।
केले सूक्ष कोशिकाओं से बने होते हैं और शरीर का हर अंग इन्हीं से बनता है। शरीरधारी प्रत्येक प्राणियों में निवास करती है जीवनी शक्ति और वह शक्ति आती है थायरोक्सिन से। प्रत्येक कार्य के लिए आवश्यक ऊर्जा भोजन से आती है। थायरोक्सिन, थायरॉयड ग्रंथि द्वारा स्रावित एक हार्मोन, इन निरंतर प्रक्रियाओं के हर चरण में एक अदृश्य भूमिका निभाता है। दिल की धड़कन, श्वसन, भोजन का सेवन, पाचन, अवशोषण और उत्सर्जन- यह सब कार्य के लिए ही थायरोक्सीन जरूरी होती है।

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थायरॉइड ग्रंथि नमक और विभिन्न खाद्य पदार्थों से आयोडीन इकट्ठा करके थायरोक्सिन का उत्पादन करते हैं और जिसकी कमी से मिक्सिडिमा एबंग अतिरिक्त होने से ग्रेवस डिसीज नामक रोग होता है। थायरोक्सिन शरीर के हर हिस्से में हर कोशिका को अपना विशिष्ट कार्य करने में मदद करता है।
फिर, थायरोक्सिन को मस्तिष्क में अवस्थित पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिससे टी.एस.एच. हार्मोन निकलता है।
यदि रक्त में थायरोक्सिन की मात्रा सामान्य से अधिक या कम हो तो मिक्सिडिमा और ग्रेवस डिसीज के विभिन्न लक्षण धीरे-धीरे मस्तिष्क, हृदय, हड्डियों, मेद, मज्जा, बाल, त्वचा और पुरुष प्रजनन प्रणाली में दिखाई देने लगते हैं।
स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में थायरोक्सिन का स्तर 5-2 माइक्रोग्राम/डीएल है और टी.एस.एच.का स्तर 0.4-4.0 IU/ml होता है।
योगासन और प्राणायाम की मदद से मिक्सिडिमा और ग्रेवस डिसीज जैसे बीमारियों से बचाव और इलाज संभव है। आसनों में सर्वांगासन, मत्सासन और हलासन सबसे प्रभावी हैं।
इसके अलावा सिर और गर्दन को पीछे झुकाने वाले आसन जैसे सूर्यनमस्कार, पवनमुक्तासन, योग मुद्रा, सुप्तवज्रासन आदि भी लाभकारी हैं।

Sarvangasana

अनुलोम-विलोम और कपालभाति के अलावा थायराइड के लिए फायदेमंद प्राणायाम में से एक का नाम 'उज्जायी' है।
इन प्राणायाम और योगासन का अभ्यास करने से सभी अंगों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के अलावा सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक स्नायु तंत्र और गले की अंत:स्रावी ग्रंथियों को उत्तेजित करके थायराइड संबंधित रोगों को रोका या ठीक किया जा सकता है।
यदि सिम्पेथेटिक आक्रामक है, तो पैरासिम्पेथेटिक रक्षात्मक है। इस तरह शरीर में संतुलन बना रहता है।
वेगास या पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका हृदय और श्वास का गति को धीमा करने, रक्तचाप को कम करने और पाचन और विपाकीय क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आयुर्वेद में इसीलिए इस नाड़ी को सात्विक कहा गया है। हठ योगी इस पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका को नियंत्रित करके लंबे समय तक भूमिगत रहने में सक्षम होते हैं।
संस्कृत शब्द उज्जायी (उद + जी) का शाब्दिक अर्थ है 'विजेता' 'जी' का अर्थ है जीत और 'उद' का अर्थ है बंधन। अर्थात् बंधनों को पार कर विजयी बनना होता है।
ऐसे प्राणायाम (प्राण + आयाम) में 'प्राण' का अर्थ है श्वास लेना और 'आयाम' का अर्थ है नियंत्रण। उज्जायी प्राणायाम में नाक से जोर से सांस लें (पूरक), गले की मांसपेशियों को सिकोड़ें, मन को गले पर केंद्रित करें, स्वर तंत्र में ग्लोटिस का दरवाजा खोलें और समुद्र की गर्जना के समान तीव्रता से दहाड़ की तरह जोर देकर नाक से सांस छोड़ें (रेचक)
इस प्राणायाम में, छाती और पेट के बीच डायाफ्राम नामक मांसपेशियां, जो पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिकाओं द्वारा नियंत्रित होती हैं, यह सांस लेने और छोडऩे में भी मदद करती हैं। आधुनिक समय में थायराइड संबंधित रोग का प्रसार या प्रचलन बढ़ता जा रहा है। उर्वरता बढ़ाने के लिए जहरीले मल, खाद और सूक्ष्म विद्युत चुम्बकीय विकिरण को इसका कारण बताया गया है। निवारण हमेशा इलाज से बेहतर है। इसलिए, मिक्सिडिमा के रोगियों को फूलगोभी,
ब्रीकोली, रंगालू और सोयाबीन खाने से मना किया जाता है। क्योंकि उन सब्जियों में विभिन्न प्रकार के थायराइड के जहर जैसे थायोसाइनेट, ग्लूकोसाइनोलेट आदि होते हैं, जो थायरोक्सिन का उत्पादन नहीं होने देते हैं। आयुर्वेद में योग प्राणायाम, जीवनशैली और आहार में बदलाव के साथ-साथ जड़ी-बूटियों का प्रयोग भी शामिल है। इसलिए पतंजलि की दिव्य थायरोग्रिट थायरॉयड विकारों, विशेषकर मिक्सिडिमा में बहुत फायदेमंद साबित हुई है।
 
 

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